आज हम आपको उत्तराखंड में पर्वत पर बसे तुंगनाथ महादेव मंदिर से परिचित करवाएंगे । भारत की देवभूमि कह जाने वाले पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में एक से एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल स्थित है। जिसमें से एक तुंगनाथ महादेव मंदिर का नाम आता है, जो धार्मिक स्थल के साथ-साथ एक साहसिक स्थल भी है।अगर आप ट्रैवलिंग का प्लान बना रहे हैं और कुछ अलग ही मस्ती भरी ट्रिप की तलाश कर रहे हैं तो उतराखंड में स्थित तुंगनाथ मंदिर के लिए ट्रिप प्लान कर सकते हैं। जहां आप बर्फबारी का भी आनंद ले सकते हैं। और वहां की खुबसुरती को देखने का मजा ले सकते हैं । तो हम आपको तुंगनाथ मंदिर कि यात्रा के बारे में बताएंगे कि यहां कब और कैसे? जा सकते हैं। हिमालय की खुबसुरत प्राकृतिक सुन्दरता के बीच बना तुंगनाथ का मंदिर तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के घुमने लिए आकर्षण का केंद्र है। मुख्य रूप से चारधाम की यात्रा के लिए आने वाले यात्रियों के लिए यह मंदिर बहुत महत्वपूर्ण है।

तुंगनाथ महादेव मंदिर

तुंगनाथ उत्तराखंड में गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है।इस पर्वत पर तुंगनाथ महादेव मंदिर बना हुआ है जो पंच केदारों में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है। और यह शिवजी की दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है। यह मंदिर 1,000वर्ष पुराना माना जाता है, यहां भगवान शिव के पंच केदारों में से एक तुंगनाथ रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र में हए नरसंहार के कारण शिवजी पांडवों से नाराज थे। शिवजी को प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया था।यह क्षेत्र गढ़वाल हिमालय के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। जनवरी फरवरी के महीनों में यह क्षेत्र बर्फ की चादर ओढ़े हए होती

तुंगनाथ महादेव यात्रा और चोपता ट्रेक की जानकारी|
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लेकिन जलाई अगस्त के महीनों में यहां मिलों तक मखमली घास के मैदान और उनमें खिले फूलों की सुंदरता देखने योग्य होती है, इसलिए अनुभवी पर्यटक इसकी तुलना स्विट्जरलैंड से करते हैं। हिंदी पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण अर्जुन ने किया था। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर नंदी बैल की पत्थर की मूर्ति है जो पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव की सवारी है। इसके अलावा यहां अलग-अलग देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर इस मंदिर के पास हैं। तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के इदय और बाहाँ की पूजा होती है।

तुंगनाथ महादेव मंदिर का आकर्षण

चौदह हजार फीट ऊंचा बसा यह क्षेत्र गढ़वाल हिमालय के सबसे सुन्दर स्थानों में से एक है। जनवरी फरवरी के महीने में तुंगनाथ पर्वत का पुरा क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है। किसी भी पर्यटक के लिए यह यात्रा किसी रोमांच से कम नहीं है। तुंगनाथ अध्यात्म,आस्था और पहाड़ों के आकर्षण से भरपूर है। यहां लोग आस्था

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और विश्वास के साथ माथा टेकने आते हैं, और खूबसूरत वादियों का आनंद भी लेते है। बर्फ के पीछे जो सफेद चादर होती है वो पर्वत की खुबसुरती में चार-चांद लगा देती है। आस्था से भरे मंदिर और पर्वतों के आकर्षक रुप के साथ यहां पे मखमली घास और विशाल देवदार पेड़ों को देखते ही यहां आने वाले पर्यटकों के पांव थमे के थमे रह जाते हैं।

तुंगनाथ में बरसात के दौरान घास और मैदान हरे भरे हों जाते हैं जो विभिन्न प्रकार के फुल पतियों के साथ हरे भरे दिखाई देते हैं। तुंगनाथ में पर्वतों में करान्स के फुल ऐसै खिले हए दिखते हैं जैसे मानो धरती की हरियाली अपने रंग बिरंगे फूल पत्तियों के साथ पर्वतों पे बीती बर्फ की सफेद चादर आसमान से मिलने को आतुर हो रही हो। ऐसी प्राकृतिक खूबसूरती को देखने के लिए तुंगनाथ मंदिर अवश्य जाना चाहिए।

कैसे पहुंचे तुंगनाथ महादेव मंदिर?

तुंगनाथ महादेव के दर्शन के लिए ऋषिकेश से गोपेश्वर होकर चोपता जाना होगा। चोपता तुगनाथ मंदिर के पास ही स्थित है ।चोपता से 3 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई करने के बाद तुंगनाथ पहंचते हैं। चोपता जाने के लिए इन दो रास्तों में से किसी एक से जा सकते हैं। ऋषिकेश से गोपेश्वर होकर या ऋषिकेश से ऊखीमठ होते हए जा सकते हैं।

ऋषिकेश से गोपेश्वर की दूरी 212 किलो मीटर है,और गोपेश्वर से चोपता 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऋषिकेश से ऊखीमठ 178 किलोमीटर और वहां से चोपता 24 किलोमीटर है। ऋषिकेश से गोपेश्वर या ऊखीमठ के लिए यात्री बसें उपलब्ध हैं।

गोपेश्वर या ऊखीमठ दोनों स्थानों से चोपता जीप अथवा टैक्सी भी बुक कर सकते हैं और चोपता पहुंच सकते हैं। तुगनाथ पहुंचने के बाद वहां यात्री रात में रुक भी सकते हैं मंदिर के पास छोटे छोटे कमरे बने हुए हैं।यह हिमालय पर्वतमाला और आस-पास के क्षेत्रों का एक लुभावनी दृश्य प्रदान करता है। तुंगनाथ पहंचे के लिए चोपता से लगभग 2 किलोमीटर ट्रेक करना पड़ता है।

तुंगनाथ से लगभग 4 किमी की थोड़ी दूरी पर चंद्रशिला की चोटी के ऊपर से, हिमालयी श्रृंखला के चित्रमय दृश्य, जिसमें एक तरफ नंदादेवी, पंचाचुली, बंदरपूंछ, केदारनाय, चौखम्बा और नीलमंथ की बर्फ से ढकी चोटियां और विपरीत दिशा में गढ़वाल घाटी देखी जा सकती है। तुंगनाथ धार्मिक स्थल होने के अलावा, एक प्रसिद्ध ट्रैकिंग स्थल भी है।

“चोपता”

चोपता एक खूबसूरत पहाड़ी है जो उत्तराखंड में स्थित है। और उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्री तल से 2680मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।इसे भारत में मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से भी जाना जाता है। यहां बहुत ही सुंदर लुभावनी प्राकृतिक सुन्दरता से हरे-भरे मैदान है जो अत्यंत मनमोहक है।चोपता प्राकृतिक और धार्मिकता से अलग रोमांच के लिए भी जाना जाता है।चोपता उत्साहित ट्रकर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है।इस जगह की सुंदरता सदाबहार वनों से व्यक्त होती है। सितंबर और अक्टूबर में यहां का मौसम साफ होता है।

चोपता के कोनसे स्थल है जो आपकी यात्रा को बनाएंगे रोमांचक?

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भले ही इंसान महंगी वस्तुओं से अपनी खुशियों को पूरा करने की कितनी भी कोशिश करें, लेकिन जब बात आत्मिकता और मानसिक शान्ति की आती है, तो उसे प्रकृति की तरफ रुख करना ही पड़ता है। भारत का उतरी राज्य उत्तराखंड कुछ ऐसा ही स्थल है, जो अपनी तरोताजा कर देने वाली अद्भुत भौगोलिक विविधता के लिए जाना जाता है।

प्रकृति की खुबसुरती के नजारे यहां से करीब से देखे जा सकते हैं। अगर आप इस दौरान रोमांचक अनुभवों को लेने के लिए किसी पहाड़ी स्थल की खोज की खोज कर रहे हैं तो उत्तराखंड में चोपता आ सकते हैं। चोपता, पहाड़ी जंगलों से घिरा केदारनाथ वन्यजीव, अभयारण्य का एक हिस्सा है। जो विश्व भर के ट्रेकर्स के लिए बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है।

यहां से आप नंदा देवी, त्रिशूल और चौखंबा चटियों को आसानी से देख सकते हैं। खासकर यहां ट्रैवलर, ट्रेकिंग के लिए ज्यादा आते हैं। चोपता की यात्रा को थोड़ा धार्मिक रूप देने के लिए आप यहां दर्शन के लिए आ सकते हैं।

• चन्द्रशिला ट्रेक

 • देवरिया ताल 

• दुग्गल बिटटा

• कालीमठ

• सारी गांव

1.चन्द्रशिला ट्रेक

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चोपता प्राकृतिक और धार्मिकता से अलग रोमांच के लिए भी जाना जाता है। यहां पास में स्थित चंद्रनाथ पर्वत, अपने रोमांचक ट्रेकिंग रूट के लिए जाना जाता है। देशभर से ट्रैवलर यहां इस एडवेंचर का अनुभव लेने के लिए आते हैं। चंद्रशिला समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से आप ग्रेट हिमालय के शानदार दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। चंद्रशिला का ट्रेक लगभग 1.5 कि.मी का है, जो तुंगनाथ मंदिर से शुरु होता है। एक राज्य का एक प्रसिदध एडवेंचर प्वाइंट है। यहां आप साल के किसी भी महीने में आ सकते हैं।

2.देवरिया ताल

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चोपता के पास आप झीलों को देखने का भी प्लान बना सकते हैं। यहां से देवरिया ताल की ओर रुख कर सकते हैं। जो समुद्र तल से 2438 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक झील है।अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के बल पर सैलानियों का ध्यान आकर्षित करती है। इसका साफ पानी और यहां से दिखते चौखंभा चोटी के सुन्दर दृश्य सैलानियों को काफी रोमांचित करते हैं। एक शानदार अनुभव के लिए आप इस जगह आ सकते हैं।

3.दुग्गल बिट्टा

आप चोपता के निकट दुग्गल बिट्टा स्थल की यात्रा का प्लान भी बना सकते हैं। दुग्गल बिट्टा एक छोटा हैमलेट है,जो चोपता या चार धाम यात्रा पर निकले यात्रियों के लिए एक हॉल्ट के रूप में काम करता है। लगभग 2600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थल भारी संख्या में ट्रैवलर्स को आकर्षित करता है। दरअसल दुग्गल बिट्टा, केदरानाथ वन्यजीव अभयारण्य का एक महत्वपूर्ण

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यह स्थल चारों तरफ से प्राकृतिक खूबसूरती से भरा हुआ है, जहां आप एक सुकून भरा समय बिता सकते हैं। यहां से दिखने पर पहाड़ियों के दृश्य क ज्यादा रोमांचित करते हैं।

4.कालीमठ

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तोपता के आस-पास धार्मिक स्थलों की श्रृंखलाओं में आप कालीमठ के दर्शन कर सकते हैं। सरस्वती नदी के तट पर स्थित यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। जहां रोजाना दूर-दराज से आये श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भारत में 108 शक्तिपीठों में से एक है। पहाड़ों और प्राकृतिक खूबसूरती से घिरा यह मंदिर मां काली को समर्पित है।

5.सारी गांव

उपरोक्त स्थलों के अलावा आप चोपता से सारी गांव की यात्रा का प्लान बना सकते हैं। लगभग 6554 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह गांव उखीमठ के पास स्थित है। प्राकृतिक आकर्षणों से घिरा यह एक शानदार पहाड़ी गंतव्य है, जहां

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आप एक यादगारों के समय बिता सकते हैं। यहां से देवरिया झील लगभग 2 कि.मी की दूरी पर पड़ती है। यहां का सफर बहुत ही शानदार माना जाता है। आप यहां के पहाड़ों के अद्भुत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। एक महत्वपूर्ण यात्रा के लिए आपको यहां जरूर आना चाहिए।

तुंगनाथ महादेव मंदिर कब जा सकते हैं?

वैसे तो आप तुंगनाथ महादेव मंदिर कभी भी किसी भी समय जा सकते हैं लेकिन आपको भगवान शिव के दर्शन करने जाना हो तो मई नवंबर के बीच ही जाना चाहिए। क्यों की दिसंबर जनवरी के समय यहां आस पास के क्षेत्रों में ज्यादा बर्फ पड़ती है जिसकी वजह से यहां के कपाट बंद कर दिये जाते हैं। क्यों की बर्फ पड़ने से वाहन से नहीं जा सकते जिसकी वजह से पैदल चलना पड़ता है।क्यों की बर्फ पड़ने से वाहनों को काफी दिखतों का सामना करना पड़ता है। अगर आपको महादेव के दर्शन करने के साथ साथ एक साहसिक होना पसन्द है तो आप नवंबर में मंदिर के दर्शन के साथ-साथ आप बर्फ के मजे भी ले सकते हैं। जिससे आपकी ट्रिप ओर भी शानदार होगी।

तुंगनाथ महादेव मंदिर के कपाट कब खलते हैं और कब बंद होते हैं?

इस मंदिर के कपाट हमेशा खुले नहीं होते हैं। तुंगनाथ महादेव मंदिर के कपाट मई के महीने में खलते हैं और नवंबर में दीपावली के समय बंद कर दिये जाते हैं। नवंबर फरवरी व मार्च तक इसके आस-पास के क्षेत्रों में ज्यादा बर्फ पड़ती है जिसकी वजह से नवंबर में कपाट बंद कर दिये जाते हैं। और ठंड कम होते ही मई में कपाट खोल दिये जाते हैं तो आप मौसम देखकर ही एक अच्छी यात्रा के लिए तैयार हो सकते हैं। जिसकी वजह से आपकी यात्रा में किसी प्रकार का विघ्न ना पड़े।

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भगवान शिव के और अनेक पवित्र मंदिरों के कारण उतराखंड हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों में गिना जाता है। तुंगनाथ महादेव मंदिर को केदारों में तृतीय केदार की संख्या दी गई है। जो एक प्रसिदध तीर्थ स्थल है। बद्रीनाथ और केदारनाथ, दो ऐसे तीर्थस्थल हैं, जो यहां सदियों पहले से हैं। बद्रीनाथ चार धार्मो में से एक है और सबसे पवित्र स्थलों में से हैं। यहां प्राचीन शिव मंदिर है, जहां 12 ज्योतिलिंग में से एक शिवलिंग विराजमान हैं। गंगोत्री धरती का वह स्थान है, जिसे माना जाता है कि गंगा ने सबसे पहले छुआ। देवी गंगा यहां एक नदी के रूप में आई थीं। यमुनोत्री यमुना नदी का स्रोत है और इसके पश्चिम में पवित्र मंदिर है।यह हिंदओं का प्राचीनतम तीर्थ स्थल है। ऋषिकेश सभी पवित्र स्थानों के लिए प्रवेश द्वार है। उत्तराखण्ड में लगभग हर कोने में किसी ना किसी देवी देवताओं का मन्दिर देखने को मिलता है। इस राज्य में भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक नगरों में से एक हरिद्वार में प्रति वर्ष लाखों पर्यटक आते है। हरिद्वार के निकट स्थित ऋषिकेश भारत में योग क एक प्रमुख स्थल है और जो हरिद्वार के साथ मिलकर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है। इसके अतिरिक्त छोटा चारधाम भी इसी राज्य में स्थित हैं। केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री तथा दूनागिरी। इन धामों की यात्रा के लिए भी प्रति वर्ष लाखों लोग देशभर से आते हैं।

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