धरती का स्वर्ग कश्मीर के द्वार कहें जाने वाले जम्मू की त्रिकुटा पर्वत की मनोरम  श्रृंखला में स्थित है ! जगत जननी माँ शेरा वाली माता वैष्णो देवी का भवन (गुफा)! कहते हैं जिन्होंने माया वैष्णो देवी के दर्शन नही किये उनका जीवन अधूरा है ! इस लेख में आपको हमारी माता वैष्णो देवी यात्रा का विस्तृत वर्णन पढ़ने को मिलेगा !

विवाह के पश्चात किसी लम्बी यात्रा पर जाना नही हो पाया था ! मित्रो के बीच मे चर्चा हुई ! और प्लान बना माता के दर्शनों का तो हम तीनो मित्र राजेश सोनी, दीपक जैन और में आपका राजेश वैष्णव सपत्नीक निकल गए माता के दर्शनों के लिए और 10 मार्च 2013 को ! वैसे में इसके पूर्व 1998 और 2002 में माता पिता के साथ 2 बार यहां दर्शन कर चुका हूं ! काफी वर्षो के बाद माता का बुलावा आया और अवसर मिला पत्नि पूजा वैष्णव के साथ शिवरात्रि के पवित्र पर्व पर माता जी हमे दर्शन देकर कृतार्थ कर दिया ! तो आप भी पढ़े हमारी यात्रा के अनुभव विस्तार से मेरे साथ यानी tripwithrajesh !

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दिनांक 8 मार्च की सुबह 4 बजे जावद रोड (नयागांव) स्टेशन पहुचे ! यहां से ट्रेन रतलाम 8 बजे पहुचे और 8:30 पर हमें उज्जैन की ट्रेन की मिली और हमे 11:30 सुबह महाकाल की नगरी उज्जैन पहुचाया ! यहां से दोपहर 2 बजे हमारा टिकिट मालवा एक्सप्रेस में था ! हमारी यह यात्रा विपरीत दिशा से शुरू हुई इसका कारण हमे अजमेर से पूजा एक्सप्रेस में टिकट नही मिल पाया ! उज्जैन प्लेटफार्म नम्बर 01 से हम मालवा एक्सप्रेस में उज्जैन से जम्मू के लिए प्रस्थान किया और 27 घंटे के सफर के बाद हम पहुचे जम्मू !

9 मार्च 2013 यहां से हम कटरा के लिए बस द्वारा निकले जो 3 घण्टे पश्चात हमे कटरा पहुचाया ! अब शुरू होती है हमारी यात्रा माता के दर्शनों के लिए !

कटरा बस स्टैंड पर मुफ्त कमरे का ऑफर देते हैं उनसे पूर्ण सावधान रहें क्योकि वहां जाने के पश्चात मुह मांगे दाम वसूले जाते हैं ! हमने एक होटल में रूम लिए और विश्राम और भोजन के पश्चात हमने यात्रा पर्ची काउंटर से पर्ची ली और रात्रि में 10 बजे हमने पैदल चढ़ाई शुरू की और बाणगंगा पर यात्री पर्ची की जांच की जाती है ! पर्ची जांच प्रक्रिया होने बाद हमने प्रस्थान किया !

माता वैष्णो देवी चरण पादुका :

बाणगंगा के बाद सबसे पहले दर्शन होते हैं चरण पादुका के कहा जाता है कि यहां रुक कर शक्तिस्वरूपा माँ ने पिछे मूड कर देखा था कि भैरव जोगी आ रहा है या नही यहां माता के कुछ देर रुकने के कारण माता के पद चिन्ह अंकित हो गए उन्हें ही चरण पादुका के नाम से जाना जाता है ! यहां दर्शन के पश्चात हम निकले आदि कुंवरि (अर्द्धकुंवारी) के दर्शन होते हैं पर हमने आते वक्त दर्शन का निर्णय लिया और निकले हाथीमत्था की और !

हाथीमत्था :

यह चढ़ाई हाथीमत्था कहलाती है यही हमने कुछ देर रुकने पर चाय नाश्ता लिया और आगे की और निकले कुछ आगे जाने पर यहां से ढलान शुरू हो जाता है यही से भवन के नजारे दिखाई देना शुरू हो जाते हैं ! 

भवन :

10 मार्च 2013 भवन से पहले यात्री पर्ची काउंटर पर पर्ची की जांच कराई जाती है यही से भवन में प्रवेश के लिए समूह की जानकारी दी जाती है और इसी के ठीक सामने बने लॉकर रूम में हमने हमारा समान जमा कराया भवन में नकद रुपये के अलावा किसी भी वस्तु का प्रवेश पूर्णतया वर्जित है ! फिर उसके पश्चात हम लाइन में लगे और प्रातः 4 बजे हमे माता के पिंडी रूप के दर्शन किये ! यह गुफा 98 फिट लंबी है कहा जाता है कि यह गुफा पांडवो द्वारा बनाई गई थी !

गुफा के अंदर अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां स्थित है ! प्राचीन गुफा में श्री गणेश, सुर्यदेव,चंद्रदेव आदि के पद चिन्ह और सप्तऋषि, कामधेनु, ब्रह्मा,महेश की मूर्तियां है ! माँ भगवती की गुफा ( भवन) में कोई मूर्ति के दर्शन नही होते हैं भवन में माता वैष्णो देवी पिंडी स्वरूप में विराजित है ! पिंडी स्वरूप में माँ महाकाली  माँ महालक्ष्मी माँ महासरस्वती के दर्शन हम वैष्णो देवी के रूप में कर के हम कृतार्थ हुवे ! इन पिंडियों के नजदीक से ही निरंतर जल प्रवाह होता रहता है !

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माँ दर्शनों के पश्चात हम गुफा से बाहर निकले और दाई और नीचे और करीब 100 सीढ़ियों उतरने के पश्चात हमे एक गुफा में भगवान भोलेनाथ के दर्शन किये यह एक संजोग ही था कि इसी दिन महाशिवरात्रि का पर्व भी था ! 5 बजे तक हमने दोनों जगहों के दर्शन कर बाहर आ चुके थे ! यही पर हमने 8 बजे तक विश्राम किया और चाय नाश्ता कर के हम भैरो घाटी की और प्रस्थान किया !

भेरूघाटी :

सुबह 8:30 हमने भेरूघाटी की चढ़ाई शुरू की ! यह चढ़ाई पहले की अपेक्षा काफी कठिन और दुर्गम है ! यह भवन से करीब 3 किमी दूर है ! प्रातः 11 बजे हमने बाबा भैरुनाथ के दर्शन किये ! कहते हैं कि माँ ने ही भेरुनाथ को यह वरदान दिया था कि मेरे दर्शन के बाद जिसने भेरूनाथ के दर्शन नही करेगा उसकी यात्रा अधूरी मानी जायेगी ! यहां हमने अर्धकुंवारी की और प्रस्थान किया ! 

अर्धकुंवारी :

यहां करीब 2 बजे हम पहुचे और यहां भोजन करने के पश्चात नई यात्रा पर्ची लेकर लाइन में लगे और 2 घण्टे पश्चात हमारा नम्बर 4 बजे आया ! यह गर्भवास नामक अति संकीर्ण गुफा है ! इस गुफा में यात्रियों को करीब 25 फिर लंबी तंग गुफा में रेंगते हुवे निकलना पड़ता है ! यही माता का प्रादुर्भाव हुआ था ! कहते हैं कि वैष्णो देवी ने यही पर एक तपस्वी को दर्शन देकर इसी संकरी गुफा से प्रवेश किया था ! उधर भेरू माता की खोज में पिछे – पिछे पहुचे तो माता ने अपने त्रिशूल से प्रहार कर मार्ग बनाया और बाहर निकली तपस्वी ने भैरव को बताया कि यह कोई साधारण कन्या नही बल्कि सर्वशक्तिमान जगतजननी आदि कुंवारी है ! 

इनके दर्शन के पश्चात हम कटरा की और प्रस्थान किया रात्रि 9 बजे हम होटल पहुचे और रात्रि विश्राम के पश्चात श्रीनगर जाने मानस बनाया ! 

11 मार्च 2013: सुबह 10 बजे करीब हम जायलो गाड़ी द्वारा उधमपुर के रास्ते आगे की यात्रा प्रारंभ की रास्ते भर हमे भारतीय सैनिकों के पड़ाव देखने को मिले वहां देखने से लगा आज सुरक्षित इनके कारण ही है ! वही सडक कार्य भी तीव्र गति से चल रहा था ! रास्ते मे कूद नामक एक गांव में रुके यहां हमारे जायलो गाड़ी के मालिक राजकुमार शर्मा ने बताया कि यहां की मिठाई काफी प्रसिद्ध है वही रुक कर हमें चाय नाश्ता किया उर स्वादिष्ट मिठाई का लुफ्त उठाया !

उसके पश्चात हम पटनीटॉप में स्थित प्रसिद्ध नाग मंदिर पहुचे वहां दर्शन कर के पहुचे हम पटनीटॉप स्थित होटल वहां कुछ देर रुकने के बाद हम पटनीटॉप के विभिन्न गार्डन में गुमते हुवे रात्रि में होटल पहुचे और भोजन किया अगली सुबह हमे श्रीनगर के लिए निकलना था ! परंतु हमारी यात्रा यही तक लिखी गयी थी ! रात्रि में भोजन के पश्चात हम पैदल ही कुछ दूरी पर पहुचे वहां भी सैलानी आपस मे बात कर रहे थे कि श्रीनगर में हालात ठीक नही है और अभी वहां कर्फ्यू लगा दिया गया है !

हम होटल पहुचे गाड़ी मालिक राजकुमार जी चर्चा कर आगे की स्थिति को देखते हुवे श्रीनगर की यात्रा को यही स्थगित करना बेहतर समझा ! और हमने रात्रि में ही प्लान बनाया की यही पास में नजदीक जो कि पटनीटॉप से 12 किमी की दूरी पर स्थित नत्थाटॉप वहां कल जायेगे !

8900 फिट की ऊँचाई पर चाय की चुस्की

नत्थाटॉप : 12 मार्च 2013

सुबह होटल में नाश्ता करके हम निकल पडे नत्थाटाप की और हमारी जायलो घुमाव दार रास्तो को नापती हुई नत्थाटॉप की और बड़ रही थी रास्ते मे हमे एक टॉवर दिखाई दिया जो कि भारतीय सेना के इलाके में आता है ! यह एरिया पटनीटॉप से 700 से मीटर की ऊँचाई पर है ! सर्दी के दिनों में यह एरिया पूरा बर्फीला हो जाता है और सैलानी बर्फबारी के लुफ्त उठाते हैं ! और यही से पीर पंजाल की पर्वत श्रखलाये देखने को मिल रही थी ! और यही सड़क किनारे खाने पीने की अस्थाई दुकानें मिलती है वही हमने मैगी और चाय का लुफ्त उठाया !

आपको जानकारी दे दे कि नत्थाटाप में रुकने के लिए कोई होटल नही रुकने के लिए आपको पटनीटॉप या सनासर झील में ही होटल लेना होगा ! यहां बर्फ हमने स्केटिंग का लुफ्त उठाया और यहां फिर हम निकले जम्मू की और यहां हमने प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर के दर्शन किये और कुछ समय बाजार में खरीदारी की उसके बाद रात्रि 9 बजे ट्रेन द्वारा जम्मू से अमृतसर के लिए निकल गए ! 

13 मार्च 2013 अमृतसर

सुबह 4 बजे ट्रेन से उतरे ! सुबह 4 बजे हम भ्रमण पर निकले सबसे पहले हमने एक मंदिर के दर्शन किये जो माता वैष्णो देवी की तर्ज पर बना हुआ है ! उसके बाद पहुचे हम अटारी बॉर्डर परन्तु यहां हम अंदर नही जा पाए क्योकि यह आम जनता के लिए शाम 4 बजे से खुलता है ! उसके बाद हम दुर्गा मंदिर, जलियांवाला बाग़ उससे आगे हर मंदिर साहेब ( स्वर्ण मंदिर) में लंगर किया ! यहां 2 घंटे रुके फिर स्टेशन की और निकले यहां से 4 बजे हमारी आगरा के लिए ट्रेन थी !

14 मार्च 2013 आगरा : 

माता वैष्णो देवी

16 घंटे के सफर के बाद में सुबह 8 बजे पहुचे ताज नगरी आगरा यहां पहुच कर होटल में रूम लिया ! भोजन के पश्चात हम सबसे पहले पहुचे लाल किला 2 घण्टे लाल किला घूमने के बाद हम पहुचे विश्व प्रसिद्ध ताजमहल यहां बाहर एक कैफेटेरिया में हमने चाय कॉफी ली ! फिर टिकिट लेने के बाद किया ताज का दीदार और मुह से निकल पड़ा वाह ताज

उसके बाद हम निकले आगरा के बाजार में खरीदारी करने कुछ देर के बाद फिर होटल पहुचे यहां निकलने के बाद हमने एक रेस्टोरेंट में भोजन किया और शाम 7 बजे की हल्दीघाटी ट्रेन से अपने घर की रवाना हुवे !

15 मार्च दोपहर 1 बजे हम जावद रोड पहुचे यहां से अपने घर जावद इस तरह हमारी शादी के बाद कि पहली यात्रा का समापन हुआ !

आपको कैसी लगी हमारी यह यात्रा स्टोरी और आपने माता रानी के दर्शन किए होतो तो आपके अनुभव हमे आप कमेंट के माध्यम से share कर सकते हैं !

जय माता दी

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