मैं आज अपने किसी काम से गोवा जाने वाला था और मेने अपनी पत्नी से कह दिया की मैं आज गोवा जा रहा हु, तुम मेरे लिए खाना पैक करके रख देना. मेंरी पत्नी ने सुबह जल्दी उठकर मेरे लिए खाना बनाया और मैं अपने घर से निकल पड़ा जब करीब सुबह के सात बज रहे थे। घर से निकलने के बाद मुझे सबसे पहले एक ऑटो रिक्शा की तलाश थी ऑटो की मदद से मुझे रेलवे स्टेशन पर पहुंचना था |

मैं अपनी गली से मुख्य सड़क की तरफ जाने लगा और मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे एक ऑटो वाला मिला और मुझे रेलवे स्टेशन छोड़ने के लिए मान गया अगर आप मुंबई जैसे बड़े शहर में रहते हैं तो आपको तो पता ही होगा की बड़े शहरों में ऑटो का  मिल पाना बड़ा ही मुश्किल काम होता है | लेकिन मुझे इस परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा और में बहुत खुश था कि ऑटो मुझे मिल गया है और मैं समय पर अपनी ट्रैन को पकड़ सकता हूँ |

लेकिन मुझे यह नहीं पता था की आज वीकेंड है और वीकेंड पर हमारे शहर में बहुत ज्यादा ट्रैफिक रहता है आप आसानी से ट्रैफिक पार नहीं कर सकते हैं| ट्रैफिक की वजह से मुझे मेरे घर से रेलवे स्टेशन जाने में कम से कम एक घंटे का समय लगने वाला था लेकिन में निश्चिन्त था क्यूंकि मेरी ट्रैन करीब नौ बजे की थी | और इसी ख़ुशी में मैं अपने ऑटो वाले भैया से बात करता हुआ अपनी मंजिल रेलवे स्टेशन की तरफ आगे बढ़ रहा था। 

ऑटो वाले भैया ने मुझे समय से पहले की अपने मुकाम पर पहुंचा दिया जो मेरे लिए बहुत अच्छी बात थी और मेने उन्हें पैसे दिए और धन्यवाद कहकर निकल गया। 

अब मेरी ट्रैन को आने में करीब तीस से चालीस मिनट बचे थे और मेरे पास ट्रैन का टिकट भी नहीं था तो सबसे पहले मेने अपनी ट्रैन का टिकट लिया | टिकट लेने के बाद मैंने पास वाली दूकान से एक चाय आर्डर की और मैं चाय पीने लगा मैं चाय पीकर ख़त्म करने ही वाला था इतनी देर में एक छोटा बच्चा आ गया और मुझसे खाने के पैसे मांगने लगा |

लेकिन मैंने उसे पैसे नहीं दिए बल्कि उसी दुकान से उस बच्चे को कुछ खाने का सामन लेकर दे दिया क्यूंकि मुझे लग रहा था इस बच्चे से पैसे कोई भी ले सकता है  बच्चा खाना खाकर बहुत प्रसन्न था और मेरी ट्रैन का भी समय होने वाला था इसी लिए वहां से अपने प्लेटफार्म की तरफ आया और बैठ गया | ट्रैन को प्लेटफार्म पर आने में अभी दस मिनट का समय लगने वाला था और सभी यात्री आ चुके थे मैं भी अपने सामान के साथ ट्रैन में बैठने के लिए तैयार था |

फिर इंतज़ार की घडी ख़त्म हुई और मेरी ट्रैन प्लेटफार्म पर आकर खड़ी हो गयी मैं अपना कोच ढूंढ़ने लगा और कोच मिलने पास में उस डिब्बे में चढ़ा | जैसे ही मैं अपनी सीट पर बैठने के लिए आया तो मेने देखा की वहां पर कोई व्यक्ति पहले से ही सोया हुआ था मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए |

लेकिन मैंने हिम्मत जुटाकर उस व्यक्ति को उठाया और जैसे ही वह व्यक्ति उठा उसने मुझे चिल्लाते हुए कहा कि “ क्या है मुझे क्यों उठाया तुमने “ | फिर मैंने उसे समझाया की मेरी सीट है और आप गलती से मेरी सीट पर बैठ गए है। शयद वो व्यक्ति ज्यादा पड़ा लिखा नहीं था इसीलिए वो मेरी सीट पर बैठ गया |

मैंने उस व्यक्ति को उसकी सीट पर बैठने में मदद की और उसने मुझे बुरा बर्ताव करने के लिए सॉरी कहा और मैं वापस से अपनी सीट पर आकर बैठ गया।  फिर ट्रैन प्लेटफार्म से निकल पड़ी और मैं भी अपना मोबाइल चलाने लगा और मोबाइल में अपना फेसबुक और व्हाट्सप्प ग्रुप देखकर एन्जॉय करने लगा |मोबाइल चलाते चलाते मुझे पता ही नहीं चला की कब दो से तीन घंटे बीत गए और अभी समय करीब बारह बज रहा था | और मेरा मोबाइल की बैटरी भी कम हो गयी थी इसलिए मैंने अमेज़ॉन से हाल ही में एक USB Adapter ख़रीदा था जिसकी मदद से मैंने अपने मोबाइल को चार्ज किया अगर आप भी खरीदना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर जाकर खरीद सकते हैं |

मुझे भूख लगने लगी थी क्यूंकि मैंने सुबह ज्यादा नाश्ता भी नहीं किया था और ऐसे ही घर से निकल गया था। तभी मुझे याद आया की मेरी पत्नी ने मेरे लिए खाना बनाकर टिफिन में रखा था।  मेरी पत्नी ने खाना बहुत ज्यादा रखा हुआ था और मेरे साइड में बैठे हुए व्यक्ति जिससे शुरू में मेरी थोड़ी नौक झोक हुई थी उसे भी भूख लग रही थी |

लेकिन उसके पास कोई भी टिफिन नहीं था इसीलिए मैंने सोचा की मेरे पास वैसे भी ज्यादा खाना है और क्यों न इसके साथ शेयर  लूँ  क्यूंकि अब वह व्यक्ति मेरा दोस्त बन चूका था लेकिन वह शर्मीला किस्म का व्यक्ति था इसलिए उसने मुझसे मना कर दिया  लेकिन मेरे बहुत ज्यादा मानाने पर वह मान गया और मैंने अपने टिफिन में से उस व्यक्ति को खाना खिलाया और ट्रैन में खाना खाने का तो मजा ही कुछ और ही है |

अगर आपने भी कभी ट्रैन में खाना खाया है तो आप मेरी फीलिंग्स को बड़ी ही आसानी से समझ रहे होंगे खैर मैंने और मेरे दोस्त ने ट्रैन में खाना खाया और दोनों बातें करने लगे  बातो ही बातो में मुझे पता चला की वो व्यक्ति भी जो मेरा दोस्त बना है उसी कंपनी में इंटरव्यू देने जा रहा है जहाँ पर मुझे काम था |

और वो थोड़ा सा चिंता में था कि क्या वो इंटरव्यू सही से दे पाएगा और अगर उसे कंपनी ने सेलेक्ट नहीं किया तो क्या होगा लेकिन मैंने उसे समझाया की ऐसा कुछ नहीं होगा यह बहुत आसान है| और वह मान गया और मेने उसे कुछ बातें भी बताई जो ज्यादातर इंटरव्यू में पूछी जाती है जिससे उसे काफी मदद मिली और करीब शाम को नौ बजे हम गोवा पहुंचे और रात को होटल में रहें और सुबह दोनों एक साथ कंपनी में गए। 

मैंने अपना काम निपटाया और मेरे दोस्त जो मुझे ट्रैन में मिला था उसने उस कंपनी में अपना इंटरव्यू दिया इंटरव्यू में उसने बहुत अच्छे जवाब दिए और सभी लोगो का दिल जीत लिया आज वो भी उस कंपनी में काम कर रहा है  और आते समय हम वापस उसी ट्रैन से आये और उसने मुझे फिर से ध्यानवाद कहा और हमने ट्रैन में ही बहुत सी बातें की जिससे मेरा मन बहुत हल्का हो गया और मुझे ट्रैन में एक नया दोस्त भी मिल गया | और मेरे दोस्त को ट्रैन की वजह से एक अच्छी से नौकरी मिल गयी जिससे उसकी जिंदगी में रौनक आ गयी |

दोस्तों आप समझ गए होंगे की किस तरह ट्रैन में मिलने वाले अजनबी लोग हमारे दोस्त बनते है और कैसे हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाते है मेरा दोस्त जब भी मुझे फ़ोन करता है तो कहता है “ मैं ट्रैन वाला दोस्त बोल रहा हूँ “ इस तरह यह एक छोटी सी कहानी थी जो मैंने आपको इस ब्लॉग के माध्यम से सुनाई |

अगर  आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर साझा करें धन्यवाद |

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