भारत अनेक संस्कृतियों और परंपराओं का देश है जहाँ  पर आपको हर राज्य में अलग अलग वेशभूषा और खान पान देखने को मिलता हैं | और आपको बहुत सारे मंदिर , और पर्यटन स्थल देखने को मिल  जाते हैं | आज हम आपको ऐसे ही एक राज्य राजस्थान में स्तिथ बाबा (Khatu Shyam) खाटू श्याम मंदिर के दर्शन करवाने जा रहे हैं | भारत में रहने वाला  हर एक व्यक्ति बाबा खाटू श्याम के दर्शन अवश्य करना चाहेगा क्योंकि यहाँ पर आए हर एक की मनोकामना पूर्ण होती है और उसके पाप भी धूल जाते हैं |

यह मंदिर राजस्थान की शान है और यहाँ पर रोज़ भारी संख्या में भक्त बाबा खाटू श्याम के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं |लेकिन कई लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती कि बाबा खाटू श्याम क्या है और इस खाटू श्याम के दर्शन कैसे कर सकते है , खाटू श्याम कहाँ पर है , और खाटू श्याम कैसे जाएं |

बाबा खाटू श्याम (Khatu Shyam Mandir)

Khatu Shyam mandir
Image Source: Google(Youtube)

बाबा खाटू श्याम का मंदिर हमारे देश में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में विख्यात है और यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले एक प्रसिद्ध क़स्बा है जहाँ पर बाबा खाटू श्याम के  मंदिर का निर्माण हुआ है | खाटू श्याम महाभारत के समय से विख्यात है पांडु पुत्र भीम के पौत्र घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की दानवीरता का प्रतीक है | और तभी से बर्बरीक बाबा खाटू श्याम के रूप में पूजा जाता है |

जो आज यानि कलयुग में बाबा श्याम के नाम से प्रसिद्ध हैं वो महाभारत  पहले बर्बरीक  जाने जाते थे और वे पांडु पुत्र भीम और राक्षसी मोरवी के पुत्र थे राक्षस पुत्र होने  के कारण उनका भी शरीर बहुत ही बलवान और शक्तिशाली था | उनके बचपन के गुरु खुद भगवान् श्री राधे कृष्ण थे उन्होंने उसे युद्ध कला  का प्रशिक्षण दिया  |

बड़े होने के बाद बर्बरीक ने माँ दुर्गा को प्रशन्न करके तीन अमोघ बाण प्राप्त  कर लिए जिसकी मदद से वह किसी भी युद्ध को क्षण भर में समाप्त कर सकता था |जब पांडवों और कौरवों के मध्य महाभारत युद्ध का आगमन होने  जा रहा था तो उसकी सूचना भीम पुत्र घटोत्कच को दी गयी लेकिन घटोत्कच पुत्र बर्बरीक ने भी युद्ध में सम्मलित  होने की इच्छा जाहिर की |

लेकिन जब बर्बरीक युद्ध में सम्मलित होने जा रहा था तभी  रास्ते में उसे एक ब्राह्मण दिखाई दिया और उससे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उसके पास चल पड़ा | ब्राह्मण ने आशीर्वाद दिया और पूछा कहा जा रहे हो बर्बरीक ने कहा कि मैं पांडवों और कौरवों के बीच हो रहे युद्ध में सम्मलित होने जा रहा हूँ लेकिन तभी उस ब्राह्मण ने कहा कि सिर्फ तीन बाण लेकर आप युद्ध लड़ने जा रहे हैं उनकी हसीं उडाई | बर्बरीक ने उत्तर देते हुए कहा की हे ब्राह्मण मेरे तुडीर में रखे ये तीन बाण से ही मैं पुरे युद्ध को एक पल में समाप्त कर सकता हुँ |

श्री कृष्ण ने कहा कि अगर तुम इस पीपल के पेड़ के सभी सूखे पत्तों  को छेद दोगे तो मुझे यकीन हो जाएगा तभी कृष्ण ने एक सूखा पत्ता अपने पैर के नीचे  दबा लिया जैसे ही बर्बरीक ने बाण चलाया एक के बाद एक सूखे पत्ते में छेद होता चला गया और वो बाण श्री कृष्ण के पैर पर आकर रुक गया तभी बर्बरीक ने कहा की आप अपने चरण हटा लीजिए वरना ये बाण आपके पैर में भी छेद  कर देगा |

माँ दुर्गा का अपमान न हो इसलिए भगवान् ने पैर को हटा लिया लेकिन इसी बाण  कारण श्री कृष्ण के तलवे में एक घाव बन गया था जो कि सोने की तरह चमकता था और इसी कारण भगवान् श्री कृष्ण की मृत्यु भी हुयी थी |

उसके बाद ब्राह्मण ने बर्बरीक से कहा की तुम युद्ध में किसके पक्ष से लड़ोगे तो बर्बरीक ने उत्तर देते हुए कहा की मैंने अपनी माँ को वचन दिया है कि मैं इस युद्ध में निर्बल पक्ष की और से लड़ूँगा |फिर उसके बाद ब्राह्मण ने दान लेने की इच्छा बर्बरीक को बताई बर्बरीक ने वचन देते हुए कहा कि आप जो चाहे मांग सकते हैं | ब्राह्मण ने कहा की मुझे तुम्हारा शीश चाहिए  बर्बरीक चौंक गया और उस ब्राह्मण  असली रूप में आने की प्रार्थना  की |

बर्बरीक ने अपने ही धनुष से अपना शीश काटकर भगवान् श्री कृष्ण के चरणों में अर्पित कर दिया और उनसे एक विनती की कि मैं इस युद्ध को अंत तक देखना चाहता हूँ | श्री कृष्ण ने उनकी यह इच्छा पूर्ण की और उनके शीश को समीप में एक ऊँची पहाड़ी पर अलंकृत कर दिया जहाँ से बाबा खाटू श्याम /बर्बरीक पुरे युद्ध को   देख सकते थे | और कहा कि तुम आज से खाटू श्याम (Khatu Shyam) के नाम से पूजे जाओगे |

बर्बरीक ने शीश दान किया इस कारण उन्हें शीश का दानी कहा गया और फाल्गुन मास की द्वादशी को खाटू श्याम मंदिर में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है |   

खाटू  श्याम (Khatu Shyam) का मंदिर कहाँ पर है ?

रोज लाखों की संख्या में लोग बाबा खाटू श्याम के दर्शन करते हैं और करना चाहते हैं और यह जानना चाहते हैं कि बाबा खाटू श्याम का मंदिर कहाँ और किस जगह स्थित है | तीन बाणधारी , श्याम बाबा , खाटू श्याम जी का मंदिर भारत के राजस्थान में स्थित सीकर जिले में हैं जहाँ पर सफ़ेद संगमरमर से खाटू श्याम का मंदिर निर्मित है और भीम के पौत्र बर्बरीक को बड़ी ही श्रद्धा के साथ पूजा जाता है |  

और जब से खाटू श्याम के बारे में लोगों को पता चला है तब से लोग हज़ारों की संख्या में राजस्थान खाटू श्याम के दर्शन के लिए आते रहते हैं और ऐसा भी कहा जाता है कि बाबा खाटू श्याम के आशीर्वाद से सारे दुःख दूर हो जाते हैं |

खाटू श्याम (Khatu Shyam) नाम क्यों पड़ा ?

Khatu Shyam
image Source : google (blog alien)

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बर्बरीक का नाम खाटू श्याम (Khatu Shyam) कैसे पड़ा | तो चलिए जानते हैं

एक बार की बात है जब महाभारत का युद्ध आरंभ होने  वाला था तभी सभी राजाओं को युद्ध में सम्मलित होने के लिए सूचना भेज दी गई | भीम पुत्र घटोत्कच को भी इसकी सूचना मिली और वो भी युद्ध के लिए निकल पड़ा | घटोत्कच पुत्र बर्बरीक भी जाने लगा और रास्ते में उसे एक ब्राह्मण मिला और उसके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उसके पास गया युद्ध में सम्मलित होने का और अपने तीन बाणों की बात बताई |

जिसे सुनकर ब्राह्मण हँस पड़ा और बोला की अगर तुम  इस पीपल के सूखे पत्तों को छेद दोगे तो मुझे तुम पर पूरा यकीन हो जाएगा | बर्बरीक ने सभी सूखे पत्तों में छेद कर दिए और तीर ब्राह्मण के पैर पर  रुक गया | अब ब्राह्मण यकीन हो गया था कि बर्बरीक सिर्फ तीन बाणों में युद्ध को समाप्त करने में सक्षम है |

फिर उसके बाद ब्राह्मण ने दान लेने की इच्छा बर्बरीक को बताई बर्बरीक ने वचन देते हुए कहा कि आप जो चाहे मांग सकते हैं | ब्राह्मण ने कहा की मुझे तुम्हारा शीश चाहिए  बर्बरीक चौंक गया और उस ब्राह्मण  असली रूप में आने की प्रार्थना  की |बर्बरीक ने अपने ही धनुष से अपना शीश काटकर भगवान् श्री कृष्ण के चरणों में अर्पित कर दिया और उनसे एक विनती की कि मैं इस युद्ध को अंत तक देखना चाहता हूँ |

श्री कृष्ण ने उनकी यह इच्छा पूर्ण की और उनके शीश को समीप में एक ऊँची पहाड़ी पर अलंकृत कर दिया जहाँ से बाबा खाटू श्याम /बर्बरीक पुरे युद्ध को देख सकते थे | और कहा कि तुम आज से खाटू श्याम (Khatu Shyam) के नाम से पूजे जाओगे | और इस तरह बर्बरीक बाबा खाटू  श्याम के नाम से प्रसिद्ध हुए |

खाटू श्याम (Khatu Shyam) कैसे जाएँ ?

मुझे यकीन है की बाबा खाटू श्याम की यह कथा सुनकर आपका भी खाटू श्याम जाने का कर रहा होगा | लेकिन अब आपको फिक्र करने की बिल्कुल भी जरुरत नहीं है हम आपको खाटू श्याम जाने के सभी रास्तों से आपको अवगत करवाएंगे और यह भी बताएंगे कि आपके लिए कौन सा रास्ता बेहतर होगा |

सड़क मार्ग : खाटू धाम पहुँचने  के लिए आप सड़क मार्ग का प्रयोग कर सकते हैं अगर आपके अपना निजी वाहन है तो आप उससे जा सकते हैं नहीं है तो आप राजस्थान राज्य परिवहन निगम की बस में बैठकर  सफर का मज़ा ले सकते है और खाटू श्याम के दर्शन कर सकते हैं | जयपुर और सीकर जैसे प्रमुख स्थानों के लिए बस सेवा उपलब्ध है |

रेलमार्ग : अगर आप रेल से खाटू श्याम (Khatu Shyam) जाना चाहते  हैं तोआपको सबसे पहले रींगस जाना होगा क्योंकि रींगस खाटू श्याम मंदिर के सबसे नज़दीक रेलवे स्टेशन है | और उसके बाद आप खाटू श्याम पहुंचने के लिए बस की भी मदद ले सकते हैं |

वायु मार्ग : खाटू श्याम के सबसे पास जयपुर हवाई अड्डा है जो की लगभग 100 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है |

खाटू श्याम (Khatu Shyam)कब जाएँ ?

वैसे तो साल भर लाखों श्रद्धालु बाबा खाटू श्याम  के दर्शन के लिए आते हैं लेकिन किस दिन आपको खाटू श्याम अवश्य ही जाना चाहिए वो दिन जानना आपके लिए बहुत जरुरी है क्योंकि बाबा के दर्शन करने के लिए दिन और समय बहुत ही महत्वपूर्ण है |

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हर वर्ष होली के समय खाटू श्याम का मेला लगता है और हर महीने की एकादशी को भक्त बाबा खाटू के दर्शन करने के लिए आते हैं और कुछ लोग तो ऐसा मानते है की बाबा खाटू श्याम अपने किसी भी भक्त को खली हाथ नहीं जाने देते और मंदिर में आए सभी की मुरादें पूरी करते हैं | अगर आप बाबा खाटू श्याम (Khatu Shyam) करना चाहते हैं  तो आपको अगले साल 13 मार्च से 27 मार्च के बीच जाना चाहिए क्योंकि 27 मार्च को एकादशी है और इस बीच खाटू श्याम (Khatu Shyam) का बहुत ही शानदार मेले का आयोजन किया जाता है | 

दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir) की दुरी कितनी है ?

अगर आप दिल्ली में रहते हैं और बाबा खाटू श्याम मंदिर जाना चाहते हैं तो आपको  यह जरूर पता होना चाहिए कि दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर कैसे जा सकते हैं और दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर तक की दूरी कितनी है | आप दिल्ली से रेल के माध्यम से भी खाटू श्याम मंदिर पहुँच सकते हैं लेकिन आपको दिल्ली से रींगस रेलवे स्टेशन तक ही जाना होगा  और उसके बाद आप  बची दूरी बस या टैक्सी से पूरी कर सकते हैं |दिल्ली से खाटू श्याम (Khatu Shyam) की दुरी लगभग 260 किलोमीटर है और वहां तक पहुँचने में आपको लगभग 5 घंटे लग सकते हैं|

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