भारत का एक ऐसा मंदिर जहाँ व्यापारी भगवान के साथ करते हैं पार्टनरशिप और अपने व्यापार और वेतन में भगवान को हिस्सेदार बनाते हैं | आज हम आपको Sawariya Seth Mandir  के दर्शन करवाने जा रहे हैं सांवरिया सेठ मंदिर राजस्थान में चित्तौड़ से 41 किलोमीटर दूर मंडफिया में भगवान् श्री कृष्ण को समर्पित है और प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु इस अद्भुत और चमत्कारिक मंदिर के दर्शन करने आते रहते हैं |  यह मंदिर उन सभी व्यापारियों के लिए के लिए अत्यधिक महत्त्व रखता है जो अपने व्यवसाय को बढ़ाना चाहते हैं या फिर व्यवसाय में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं |

Sawariya Seth Mandir यानी कि भगवान कृष्ण जी का मंदिर। कृष्ण जी हिन्दू धर्म के मान्यता अनुसार भगवान विष्णु के अवतार थे। नटखट स्वभाव के भगवान कृष्ण के इस अद्भुत मंदिर की झलक पाने के लिए हजारों लोग आते हैं। तो आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में…

Sawariya Seth Mandir ( सांवरिया सेठ मंदिर )

Sawariya Seth Mandir
Image Source: Twitter(Google)

हमारे सफर की शुरुआत राजस्थान से की जा रही है। राजस्थान को यूं तो राजाओं का स्थान कहा जाता है लेकिन आप इसको हिन्दू धर्म में सबसे जरूरी जगह कहेंगे तो भी गलत न होगा। यह पूरा राज्य मंदिरों से घिरा हुआ है जिनके अपने इतिहास हैं। सीकर में खाटूश्याम मंदिर कह लें या सालासर बालाजी का मंदिर सभी मंदिरों में हर साल काफी भीड़ रहती है। सांवरिया सेठ मंदिर भी इन्हीं में से एक है | तकरीबन 450 साल पुराना इतिहास लिए यह मंदिर राजस्थान के चित्तौड़ जिले से 41 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है |

Sawariya Seth Mandir की सरंचना बहुत ही अलग तरीके से की गई है और जैसा आप भारत के किसी भी मंदिर में देखते हैं कि मंदिर की दीवारों पर सुन्दर नक्काशी और डिज़ाइन बने हुए होते है वैसा ही इस मंदिर को भी पूरी तरह गुलाबी बलुआ पत्थर से डिज़ाइन किया गया है और दीवारों और खंभों पर प्राचीन वास्तुकला का उपयोग किया गया है | मंदिर के भीतर भगवान् श्री कृष्ण की मूर्ति भी विराजमान है लेकिन मंदिर के अंदर फोटोग्राफी करना मना है |

Sawariya Seth Mandir का है अनमोल रिश्ता मीराबाई से

कृष्ण जी का रूप ऐसा रहा है कि हर कोई उनका दीवाना बन जाता है उनका भक्त होने से खुद को रोक नहीं पाता है। ऐसे ही एक कन्हैया की भक्त रहीं मीराबाई। मीराबाई कृष्ण जी की सबसे बड़ी भक्त में से एक थी। यूं तो मीराबाई की शादी मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में हुआ। इनके पति महाराजा भोजराज की शादी के कुछ समय बाद ही मौत हो गई थी उस समय सती प्रथा अपने चरम पर होने के कारण मीराबाई को भी अपने पति के साथ मौत के रास्ते को चुनने के लिए कहा गया लेकिन वे अपने मन से साँवरिया सेठ को अपना पति मानती थी। Sanwariya Seth Mandir का संबंध भी मीराबाई से ही माना जाता है। मीराबाई अपने पास कन्हैया की मूर्ति लेकर रहती थी। मंदिर में ठीक वैसी ही मूरत विराजमान है।

सांवरिया सेठ का मेला कब लगता है ?

अब बात ऐसी है भारत देश भक्ति पसंद देश है। यहां हर शख्स भक्ति में लीन है। ठीक इसी प्रकार Sawariya Seth Mandir भी भक्तों से हर साल भरा हुआ रहता है। लेकिन सांवरिया सेठ मंदिर में मेला का आयोजन हर महीने की अमावस्या के दिन किया जाता है इसी दिन लोग दान राशि या फिर व्यापार के हिस्से को चढ़ाने के लिए आते हैं और दीपावली के समय यह मेला पुरे दो महीने तक चलता है और होली के समय 40 दिन तक चलता है | मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अगर कोरोना का समय न होता तो नार्मल दिनों में साढ़े 8 से 9 लाख तो हर महीने लोग दर्शन करने को आते हैं हालांकि अभी कोरोना के वक्त यहां से भीड़ नदारद थी।

सांवरिया सेठ की कहानी और चमत्कार

Sawariya Seth Mandir की कथा को थोड़ा ब्रीफ में बताते हैं। जैसे ऊपर ब्लॉग में बताया गया है कि इस मंदिर की मूरत कुछ हद तक मीराबाई के कन्हैया जैसी थी। मीराबाई कृष्ण जी की जोगन हो गई थी। उनकी मूरत लेकर संतो के साथ कृष्ण जी के भजन पर नाचती थी। ऐसे ही एक संत थे जिनका नाम था दयाराम। उनके पास भी ऐसी मूरत थी।

औरंगजेब की मुगल सेना जब मेवाड़ राज्य में मंदिर तोड़ रही थी तो उन्हें इन मूरत के बारे में पता चला। तब दयाराम जी ने प्रभु कृपा से इन मूर्तियों को बागुंड-भादसौड़ा की छापर में एक पेड़ के नीचे रख दिया।

साल 1840 में मंडफिया गांव में रहने वाले एक शख्स जिनका नाम भोलाराम था उन्हें एक सपना आया की बागुंड-भादसौड़ा की छापर में मूर्ति हैं तो नीचे खोजा गया तो उनका सपना हकीकत में बदल गया। और यह खबर पूरे गांव में फैल चुकी थी। वहां मिली मूर्तियों से मंदिर बनाया गया और यह मंदिर कोई अलग नहीं Sawariya Seth Mandir ही था।

सांवरिया सेठ किसके अवतार हैं ? 

सांवरिया सेठ किसके अवतार हैं ये सवाल आपके मन में जरूर आया होगा | सांवरिया जी कोई और नहीं बल्कि सबके  दिल में बसने वाले मुरलीधर भगवान श्री कृष्ण ही है | और भगवान श्री कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार हैं | श्री कृष्ण की पूजा उत्तर भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में अलग अलग नाम से की जाती हैं | ऐसा माना जाता है कि लोग अपने व्यापार और अपनी वेतन का हिस्सा चढाने के लिए मंदिर आते हैं और उनका मानना है कि भगवान सांवरिया के आशीर्वाद से उनके वेतन और व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी |

सांवरिया सेठ मंदिर कहाँ पर स्थित है ? (Where is Sawariya Seth Mandir Located ?)

सांवरिया सेठ मंदिर राजस्थान के चित्तौड़ से 41 किलोमीटर दूर मंडफिया में स्थित है | अगर आप राजस्थान के आसपास वाले राज्य जैसे दिल्ली , मध्य प्रदेश या फिर हरियाणा या उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं तो आप आसानी से सांवरिया सेठ मंदिर के दर्शन के लिए आ सकते हैं |

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सांवरिया सेठ मंदिर कैसे पहुँचे ? (How to Reach Sawariya Seth Mandir)

अगर आप राजस्थान के किसी पड़ोसी राज्य में रहते हैं तो आप ट्रैन या फिर सड़क मार्ग से आ सकते हैं लेकिन अगर आप किसी और राज्य /देश के निवासी हैं तो आप वायु मार्ग द्वारा भी आ सकते हैं | हम आपको बताएँगे की आप सड़क मार्ग , ट्रैन मार्ग और वायु मार्ग से किस तरह सांवरिया सेठ मंदिर आसानी से पहुँच सकते हैं |

रेल मार्ग : अगर आप रेल से आना चाहते हैं तो आपको चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन तक आना होगा | फिर आप वहाँ से कोई टैक्सी करके सांवरिया सेठ मंदिर पहुँच सकते हैं | क्यूँकि सांवरिया सेठ मंदिर से मात्र 33 किलोमीटर की दूरी पर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन स्थित है |

सड़क मार्ग : लेकिन अगर आप ट्रैन से नहीं बस से या फिर अपने व्यक्तिगत वाहन से जाना चाहते हैं तो भी आप जा सकते हैं | अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो आप आनंदविहार टर्मिनल से राजस्थान के चित्तौड़ के लिए बस पकड़ सकते हैं|

वायु मार्ग : अगर आप राजस्थान से काफी दूरी पर रहते हैं तो आप वायु मार्ग से आना पसंद करेंगे | उसके लिए आपको अपने यहाँ के एयरपोर्ट से महाराणा प्रताप एयरपोर्ट जाना पड़ेगा जो की सांवरिया सेठ मंदिर से 32 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है |

सांवरिया सेठ मंदिर के आसपास घूमने की जगह

अब आप सांवरिया सेठ मंदिर (Sawariya Seth Mandir) तो पहुँच गए तो क्या आप वहाँ की और खूबसूरत जगहों का आनंद नहीं लेना चाहेंगे | अगर आप चाहते हैं तो हम आपको बताते हैं कि सांवरिया सेठ मंदिर के आसपास ऐसी कौन कौन से जगह है जो आप घूम सकते हैं और उनका लुफ्त उठा सकते हैं | जिसमें कई प्रसिद्द मंदिर और पर्यटक स्थल भी हैं जिन्हे आप यात्रा के दौरान घूम सकते हैं |

विजय स्तंभ 

Sawariya Seth Mandir
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विजय स्तम्भ सारंगपुर जीत के स्मारक के रूप में मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा ने राजस्थान के चित्तौड़ में 1440 में स्थापित करवाया था | इसे हिंदू देवी देवताओं का अजायबघर भी कहा जाता है | इसी विजय स्तम्भ को विष्णु स्तम्भ के नाम से भी जाना जाता है |

चित्तौड़गढ़ दुर्ग

Sawariya Seth Mandir
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चित्तौड़गढ़ दुर्ग भारत में स्थित किसी भी दुर्ग से बहुत बड़ा है यह उस समय मेवाड़ की राजधानी हुआ करती थी और इसे यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल में शामिल किया | इसे भी आप आसानी से घूम सकते हैं और राजस्थान के इतिहास को समझने की कोशिश कर सकते हैं |

मीरा मंदिर 

Sawariya Seth Mandir
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भगवान श्री कृष्ण के वैसे तो अनेक भक्त हुए लेकिन मीरा उनमें से एक है जिनकी शादी एक राजपूत परिवार में होने के बावजूद भी वो भगवान श्री कृष्ण को अपना मान चुकीं थी उन्हें अपना आराध्य मानती थी | मीरा बाई ने अपना सारा जीवन श्री कृष्ण को समर्पित कर दिया | राणा कुम्भा के शासन में इस मंदिर का निर्माण हुआ लेकिन बाद में इस मंदिर का नाम बदलकर मीरा मंदिर कर दिया गया |

भैंसरोगढ़ वन्यजीव अभ्यारण

Sawariya Seth Mandir
Image :Indiatour(Google)

राजस्थान में ऐसे कई वन्यजीव अभ्यारण हैं जहाँ पर घूमना सख्त मना है लेकिन भैंसरोगढ़ वन्यजीव अभ्यारण आप घूम सकते हैं आप इसका पूरा आनंद ले सकें इसके लिए सरकार ने नूक्लिअर पावर प्लांट वॉच टॉवर का निर्माण किया है पर्यटक उस पर खड़े होकर पुरे अभ्यारण और राणा प्रताप सागर बांध का नज़ारा भी देख सकते हैं |

दिल्ली से सांवरिया सेठ मंदिर (Sawariya Seth Mandir) कैसे जाएँ ?

अगर आप देश की राजधानी दिल्ली में रहते हैं और सांवरिया सेठ मंदिर जाना चाहते हैं तो रेल मार्ग और सड़क मार्ग दोनों से जा सकते हैं | अगर आप रेल से जाना चाहते हैं तो आप नई दिल्ली , पुरानी दिल्ली , आनंद विहार रेलवे स्टेशन से चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन तक सफर करके जा सकते हैं | यहाँ से आपको रोजाना एक्सप्रेस या फिर सुपरफास्ट ट्रैन आसानी से मिल जाएगी |
और अगर आप सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं तो आप कोई टैक्सी बुक कर सकते हैं या फिर नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पता कर सकते हैं कि सांवरिया सेठ मंदिर घूमने के कितने पैसे लगेंगे |

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