भारत में हिंदुओं के लिए कई पवित्र स्थान और तीर्थ स्थल हैं | लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह घुमाने ले जा रहे हैं जहाँ पर भारत के सबसे बड़े धार्मिक मेले का आयोजन होता है यानि कुंभ मेला | भारत में कुंभ मेले का आयोजन सिर्फ चार ही जगह होता है ; हरिद्वार , प्रयागराज , उज्जैन और नासिक | आज हम आपको शिप्रा नदी के पावन तट पर बसे हुए उज्जैन के बारे में बताएँगे | उज्जैन (Ujjain) में आपको बहुत कुछ देखने को मिलेगा फिर चाहे वो कालों के काल महाकाल का मंदिर हो , शिप्रा का पावन तट हो , या फिर उज्जैन के मंदिरों की रौनक हो और उनके प्रति पर्यटकों की असीम भक्ति हो | उज्जैन में भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यहाँ पर विराजमान है |उज्जैन (Ujjain) मंदिरों की नगरी है और इसका प्राचीन नाम अवन्ति और उज्जयनी हैं | पहले यह नगरी राजा विक्रमादित्य की राजधानी हुआ करती थी | और यहाँ महान कवि कालिदास राजा विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्नों में शुमार थे |
आज हम आपको उज्जैन (मंदिरो की नगरी ) के दर्शन करवाएंगे और उज्जैन शहर में घूमने लायक जगहों के बारे में विस्तार से बताएँगे | उज्जैन कैसे जाएँ , उज्जैन कब जाना चाहिए ,उज्जैन (Ujjain) में कौन कौन सी जगह घूमने जाएँ , इन सभी के बारे में जानने के लिए आपको हमारा यह आर्टिकल पूरा पढ़ना होगा |
उज्जैन का इतिहास
प्राचीन भारत में 16 महाजनपद थे और उनमें से एक था अवन्ति | उज्जैन का ही प्राचीन नाम उज्जयनी और अवन्ति भी है | और यह मध्य प्रदेश का एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल होने के साथ साथ शिप्रा नदी के तट पर बसा अत्यंत प्राचीन नगर है | उज्जैन को मंदिरों की नगरी कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर कई प्रसिद्द मंदिर और तीर्थ स्थल हैं | और हर 12 वर्ष के अंतराल पर होने वाला विशाल कुंभ मेला हरिद्वार , प्रयागराज और नासिक के अलावा उज्जैन (Ujjain) में भी आयोजित किया जाता है | वैसे तो उज्जैन की नींव किसने रखी इसके बारे में अनेक तथ्य हैं इसलिए यह कहना संभव नहीं है की किसने उज्जैन की नींव रखी|
अगर पुराणों की मानें तो स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शंकर ने त्रिपुर राक्षस का वध करके उज्जयनी बसाई थी | उज्जैन पर कई राजवंशो ने राज किया जैसे ;मौर्या साम्राज्य ,चौहान , तोमर और सिंधिया आदि ने राज किया और उज्जैन के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका निभाई | उज्जैन के इतिहास में सबसे शक्तिशाली और महान शासक राजा विक्रमादित्य हुए | राजा विक्रमादित्य गर्भदिल्ल वंश के शासक थे | शक वंश ने राजा विक्रमादित्य के पिता राजा गर्भदिल्ल को पराजित कर दिया लेकिन महान सम्राट विक्रमादित्य ने दोबारा युद्ध करके उज्जैन (Ujjain) को पुनः प्राप्त किया और इस देश के महान सम्राट कहलाए |
उज्जैन कुंभ मेला कब लगता है?
कुम्भ मेला हिंदुओं का एक पवित्र पर्व है जिसमें लाखों श्रद्धालु नदी के तट पर स्थित होते हैं और नदी में पूर्वान्ह स्नान करते हैं और भगवान की आराधना करते हैं |हर 12 वर्ष के अंतराल पर होने वाला विशाल कुंभ मेला हरिद्वार , प्रयागराज और नासिक के अलावा उज्जैन में भी आयोजित किया जाता है | और यह शिप्रा नदी के तट पर स्थित है |
उज्जैन कैसे जाएँ?
सावन के महीने में श्रद्धालु भगवान शंकर के मंदिर दर्शन करने जाते हैं और उज्जैन में स्थित भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर पर भारी भीड़ उमड़ती है | उज्जैन में स्थित सभी मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों में महाकालेश्वर मंदिर का अधिक महत्त्व है | वैसे महाकालेश्वर मंदिर में जाने के लिए कोई रजिस्ट्रेशन की जरुरत नहीं होती लेकिन आपको भस्म आरती में शामिल होने के लिए बुकिंग अवश्य करवानी होगी | लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है की आखिर उज्जैन (Ujjain) कैसे पहुँच सकते हैं और उज्जैन के मंदिरों के दर्शन कैसे करें | उज्जैन जाने के लिए आप सड़क मार्ग , वायु मार्ग , और रेल मार्ग तीनो ही माध्यम से भारत के किसी भी कोने से उज्जैन घूमने आ सकते हैं |
सड़क मार्ग : अगर आप सड़क द्वारा उज्जैन जाना चाहते हैं तो आप उज्जैन आसानी से जा सकते हैं | क्योंकि उज्जैन पूरी तरह से प्रणाली द्वारा विकसित है और कई राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा भारत के अन्य राज्यों से सीधा जुड़ा हुआ है | जैसे ; नेशनल हाईवे 3 और नेशनल हाईवे 52 के माध्यम से जा सकते हैं | सड़क मार्ग से उज्जैन (Ujjain) दिल्ली से 826 किलोमीटर की दुरी स्थित है |
वायु मार्ग : अगर आप उज्जैन जाने की प्लानिंग बना चुके हैं और उज्जैन वायु मार्ग से जाना चाहते हैं तो आप देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट जा सकते हैं और वहां से उज्जैन के लिए आप टैक्सी कर सकते हैं | और हवाई यात्रा रोजाना इंदौर से मुंबई, कोलकाता , दिल्ली , भोपाल और अहमदाबाद से होती रहती है |
लेकिन अगर आप दिल्ली से उज्जैन जाना चाहते हैं तो वायु मार्ग से उज्जैन (Ujjain) दिल्ली से 621 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | और आप दिल्ली से उज्जैन जा रहे हैं तो देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट तक हैं और वहां से उज्जैन आसानी से जा सकते हैं |
रेल मार्ग : अगर किसी सफर का संपूर्ण आनंद लेना हो तो ट्रैन ही एकमात्र साधन होता है जिसमें हम अपनी सफर को और भी सुहावना बना सकते हैं | अगर आप दिल्ली से उज्जैन ट्रैन के माध्यम से जाना चाहते हैं तो आप ऑनलाइन मालवा एक्सप्रेस के माध्यम से उज्जैन पहुँच सकते हैं | और यह ट्रैन नई दिल्ली से उज्जैन के लिए सबसे तेज चलने वाली ट्रैन है जो मात्र 15 घंटे में आपको दिल्ली से उज्जैन पहुंचा देती है | इसके ऑनलाइन टिकट करने के लिए आप IRCTC की मदद से कर सकते हैं |
उज्जैन कब जाना चाहिए?
अगर बात करें की उज्जैन कब जाना चाहिए तो उज्जैन जाने का सबसे अच्छा समय तो सावन का महीना होता है जिस महीने में लाखों यात्री और पर्यटक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं | हिंदू मान्यताओं के अनुसार उज्जैन उन साथ नगरों में से एक है जहाँ पर जाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है | और उज्जैन (Ujjain) में भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक शिवलिंग यहाँ पर स्थित है | भगवान भोलेनाथ की पूजा सावन महीने के सोमवार को करना और भी शुभ माना जाता है |
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यदि आप अकेले उज्जैन जाकर महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो आपके लिए सावन का महीना अच्छा रहता है क्योंकि सावन के महीने में भगवान शिव के सभी तीर्थस्थानों पर अत्यधिक भीड़ रहती है | लेकिन अगर आप परिवार के साथ जा रहे हैं तो अक्टूबर से मार्च तक का समय सही रहेगा |
उज्जैन के प्रमुख दर्शनीय स्थल एवं मंदिर
तो आइये बढ़ते हैं आगे और जानते हैं की उज्जैन में आप किस किस जगह घूम सकते हैं और उज्जैन के मंदिरों के प्रति अपनी भक्ति को उजागर कर सकते हैं | वैसे तो उज्जैन (Ujjain) में कई सारे जगह हैं जहाँ पर आप घूमने जा सकते हैं तो आज हम आपको कुछ ऐसी अच्छी जगह बताएँगे जहाँ पर आप आसानी से घूम सकते हैं |
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Ujjain)
महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र तीर्थस्थान होने के साथ साथ भगवान शंकर के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक यहाँ पर विराजमान है | वैसे तो इस मंदिर पर पुरे वर्ष आपको सजावट देखने को मिलेगी लेकिन सावन के महीने में सोमवार के दिन अत्यधिक सजावट होती है और इस दिन भारी मात्रा में श्रद्धालु यहाँ पर घूमने आते हैं |
हरसिद्धि माता मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर के बाद हरसिद्धि माता मंदिर भी उज्जैन (Ujjain) का एक प्रमुख मंदिर है कहा जाता है कि माता पार्वती ने दो राक्षसों का वध करने के लिए हरसिद्धि माता का रूप धारण किया था | और इस मंदिर का निर्माण मराठा साम्राज्य के दौरान हुआ | मंदिर के बीचों बीच माता हरसिद्धि की मूर्ति स्थित है | मंदिर के द्वार पर स्थित दो स्तम्भों को जलाकर मंदिर को जगमगाया जाता है |
इस्कॉन मंदिर
इस्कॉन मंदिर आपको राधे कृष्ण की गवाही देता है जिसमें आपको राधा कृष्ण की गोपियाँ के साथ और कृष्ण की बलराम के साथ प्रतिमाएँ स्थित है | मंदिर पूरी तरह सफ़ेद पत्थर से सजा हुआ है | इस्कॉन मंदिर आपको दिल्ली में देखने को मिलता है जिसमें सुबह से शाम तक हरे राम हरे कृष्णा के जाप आपको आनंदित कर देते है वैसे ही उज्जैन (Ujjain) के इस मंदिर में भी देखने को मिलेगा | उज्जैन के मंदिरों की सूची में इस्कॉन मंदिर का नाम अवश्य मिलता है |
कालिया देह महल
यह महल शिप्रा नदी के तट पर स्थित है और महल के दोनों किनारे पर नदी बहती है | यहाँ पर आपको प्रकृति का अनोखा अंदाज़ देखने को मिलेगा | जहाँ पर आपको चारों तरफ पानी ,महल का सुन्दर नज़ारे का आनंद उठा सकते हैं | और प्रति वर्ष हज़ारों पर्यटक यहाँ घूमने आते हैं | यह उज्जैन (Ujjain) के दर्शनीय स्थानों में से एक है |
कुंभ मेला
कुम्भ मेले के दौरान लाखों लोग शिप्रा नदी में अपने अन्तः मन को पापों से छुटकारा पाने के लिए कुंभ मेले में जाते है | कुम्भ मेले में हर तरफ अध्यात्म और मन्त्रों के उच्चारण सुनने को मिलेंगे | और नागा साधु भी कुम्भ मेले की एक विशेष पहचान है | लोग अपने परिवार के साथ यहाँ पर आते हैं और कुंभ के मेले का आनंद उठाते हैं | इसलिए उज्जैन (Ujjain) का कुम्भ मेला भी दर्शनीय स्थलों में से एक है |
भर्तहरि गुफा
राजा विक्रमादित्य के भाई भर्तहरि ने अपने लिए इस गुफा किया क्योंकि उन्होंने संसार त्याग दिया और राज , और शानो शौकत से मुँह मोड़ लिया था | इसलिए उन्होंने कई वर्षों तक इसी गुफा में वास किया और माना जाता है की वे अत्यधिक बुद्धिमान थे | भर्तहरि की यह गुफा उज्जैन (Ujjain) में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है | इस गुफा के अंदर अभी भी उनकी मूर्ति को संजोकर रखा गया है |
भारत में अनेकों हिन्दू तीर्थ हैं जहाँ पर लोग अपने आराध्य भगवान की पूजा -अर्चना बड़ी ही श्रद्धा से करते हैं | लेकिन आज मैंने आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताया है जो हिंदुओं के तीर्थ स्थानों में शामिल है और एक बेहतरीन जगह है | यहाँ हर वक्त मंत्र और हवनों की आवाज़ें गूँजती हैं और मन को शांति का अनुभव कराती हैं | अगर आप दौड़ भरी जिंदगी से आराम चाहते हैं तो उज्जैन आकर अपना वक्त बिता सकते हैं और भगवान की आराधना कर सकते हैं | हमारे द्वारा उज्जैन (Ujjain) का विवरण आपको कैसे लगा यह हमें कमेंट करके जरूर बताएँ और अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस जगह का महत्व जरूर शेयर करें |