आज हम उत्तराखंड के प्रसिद्ध व्यंजनों के बारे में बात करेंगे
उत्तराखंड का प्रसिद्ध व्यंजन क्या है?
“उत्तराखंड”
उत्तराखंड, उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण 9 नवम्बर 2000 को हआ था। जनवरी 2000 में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उदगम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं।

उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध व्यंजन जाने देवभूमि उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के प्रसिद्ध पकवान
- – झंगोरी की खीर
– बड़ी
- – गहत के पराठे
- – भांग की चटनी
– कड़ी चावल या झोली
- – फाणु का साग
- – चैनसुआ
– मडूए की रोटी
-.आलू के गुटके
फाणु का साग:
इसमें गहत की दाल को पीसकर गाढ़ा पकाया जाता है. इसके पानी का खास ख्याल रखा जाता है. यह जितनी गाढ़ी बने उतना बेहतर है जब पीसी हई गहत अच्छे से गाढ़ी हो जाए तब उसमें बारीक टमाटर, प्याज, अदरक, लहसन आदि डालकर इसे अच्छी तरह पकाया जाता है। यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगता है।

गहत के परांठे:सुबह के नाश्ते के लिए गहत की दाल के परांठे गढ़वाल में सदाबहार पसंद हैं. तासीर से गर्म गहत पहाड़ी मौसम के लिहाज से भी लाभदायक है. भांग की चटनी के साथ इसका स्वाद और निखर जाता है। लोग गहत की दाल को भूनकर भी खाना पसंद करते हैं, आमतौर पर इसके लिए मंडवे के आटे का इस्तेमाल होता है।
भांग की चटनी:
आप अगर गढ़वाल में हैं और चाहे किसी भी तरह का भोजन कर रहे हैं, भांग की चटनी इसे और स्वादिष्ट बनाती है। इसका खट्टा-नमकीन-तीखा स्वाद सभी तरह के परांठे और मंडवे की रोटी के साथ जबरदस्त स्वाद देता है। जो खाने को और स्वाद कर देता है
झंगुरे की खीर:झंगरे की खीर चावल की खीर जैसी ही होती है अंतर ये होता है कि झंगुर महीन और बारीक दाने के रुप में होता है और आसानी से खाया जा सकता है। पहाड़ो में झंगरे को चावल के जैसा पकाकर दाल-सब्जी के साथ भी खाया जाता है।

स्वादिष्ट चैनसुआ:गढ़वाल क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक चैनसो उरद या मास की दाल से तैयार किया जाता है। एक लोकप्रिय उत्तराखंड भोजन में निश्चित रूप से प्रोटीन और आवश्यक पोषक तत्वों के थोक शामिल होते हैं । उच्च प्रोटीन सामग्री के कारण चैनसुओ को पचने में थोड़ा समय लग सकता है लेकिन फिर भी, यह स्वादिष्ट स्वाद ! से भरे होते हैं । शुरू में दाल को टोस्ट करना और फिर उसमें से एक दरदरा या मोटा पिसना बनाना इस नाजुकता को तैयार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, आप उत्तराखंड के इस प्रसिद्ध भोजन के सुगंधित स्वाद का आनंद लेते हैं।
प्रमुख घटक: उड़द दाल,या फिर मास की दाल , घी, मसाले समृद्ध स्रोत: प्रोटीन
झोली या कड़ी चावल:

उत्तराखंड के लोकप्रिय व्यंजनों में से सभी स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक है। इसे उत्तराखंड मैं मुखयतः झोली के नाम से है जाना जाता है। अविश्वसनीय सुगंध और मुंह-पानी के स्वादों का एक अत्यधिक लुभावना मिश्रण, इसे कम से कम समय में तैयार किया जा सकता है जो इस जबरदस्त व्यंजन की अनठी विशेषता है। यह उत्तराखंड के लोगों के लिए जितना आसान है, उतना ही आसान है। आपको बस दही थोड़ा बेसन की आवश्यकता है।दोनो को मिक्स कर के इसमे पानी ओर अन्य मसाले स्वादानुसार मिला कर इसका गाढ़ा-गाढ़ा प्याज और साथ टमाटर को तेल या घी मैं फ्राई कर के या जीरा का तड़का भी लगा सकते है। इसके ऊपर पकोड़े या मूली डालकर इसका स्वाद दुगुना हो जाता है पूरे दिन के कठिन भ्रमण के बाद उत्तराखंड का यह प्रसिद्ध भोजन आपको निश्चित रूप से तरोताजा महसूस कराएगा।
मुख्य सामग्री: दही या छाछ, टमाटर, प्याज,बेसन,मूली जीरा ,हरा धनिया हरि मिर्च ,कसुरी मैंथी।
बड़ी – पारंपरिक भोजन:
बड़ी उत्तराखंड का सबसे लोकप्रिय भोजन बना हुआ है। यह न केवल अपने स्वादिष्ट स्वाद के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह मानव शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषण तत्वों को भी वहन करता है। दरअसल, यह स्वाद और पोषण का एक संयोजन है और इसलिए इसे उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र का सबसे अच्छा पारंपरिक भोजन माना जाता है। इसे बनाने के लिए ककड़ी,लौकी, भुज या मूली और मास को बारीक पीस के दोनों के मिश्रण को छोटे छोटे गोले या चपटे टाइप के आकार का बना कर धूप मैं सखाया जाता है जिसको सूखने मै लगभग 1 महीने का समय लग जाता है उसके बाद इसकी हम सब्जी बना कर खा सकते है।
मुख्य सामग्री: लोकी, ककड़ी,भुज , पानी,
मड़ए की रोटी:
मड़ए की रोटी मड़ए के आटे से बनती है। यह एक स्थानीय अनाज है और इसमें बहुत ज्यादा फाइबर होता है। स्वादिष्ट होने के साथ ही यह स्वास्थ्यवर्धक भी होती है। मड़ए की रोटी भरे रंग की बनती है। मड़ए का दाना गहरे लाल या भूरे रंग का होता है और यह सरसों के दाने से भी छोटा होता है मड़ए की रोटी को घी, दूध या भांग व तिल की चटनी के साथ परोसा जाता है। कई बार पूरी तरह से मइए की रोटी के अलावा इसे गेंह की रोटी के अंदर भरकर भी बनाया जाता है। ऐसी रोटी को लेस रोटी भी कहा जाता है।

आलू के गुटके अगर आप नैनीताल घुमते हए कछ चटपटा खाना चाहते हैं, आलु के गुटके ट्राय करते हैं। आलु के गुटके एक कमाऊंनी रेसिपी है। यह आल से बनने वाली एक स्वादिष्ट डिश है। इसे चखने के बाद आपको पहाड़ी जायका मिलेगा। यह डिश खाने में चटपटी होती है।
उत्तराखंड में खाना परोसने के लिए तीन थालियों का उपयोग किया जाता है
केरल के 5 लोकप्रिय स्थान
नंदा थाली
महासू थाली
देवलगढ़ राजभोग थाली
पहाड़ी खाना भारत के पहाड़ी राज्यों, विशेषकर उत्तराखण्ड में लोकप्रिय है। खाने में आम तौर से तीन प्रकार की थाली शामिल हैं जिन्हें नंदा थाली, महासू थाली व देवलगढ़ राजभोग थाली कहा जाता है। वहीं उतराखंडी मिठाई, अर्से, गुड़ की जलेबी, झंगरियाल, पल्लर, मंड़वे की रोटी, मक्के की रोटी, कंडाली का साग, तोर की दाल, व पंचमढ़ी दाल, जिसमें हींग व जख्या का तड़का लगा होगा, लाल चावल, कमाउनी चटनी, मड़वे के समोसे व मोमो व उतराखंड में पैदा होने वाली सब्जी भी इस भोजन का हिस्सा हैं। सभी खानों में तिल व चीलू का तेल प्रयोग पारंपरिक रूप से किया जाता है। इसके साथ ही साथ ही गुड़ की चाय व शिलाजीत की चाय उल्लेखनीय हैं। खाना आम तौर से जमीन पर बैठ कर कांसे की थाली व कटोरियों में परोसा जाता है।

उत्तराखंड की वादियों में स्थित नैनीताल उत्तर भारत वासियों के बीच खासा लोकप्रिय हिलस्टेशन है। कमाऊँ की पहाड़ियों के मध्य में स्थित है और इसे खूबसूरत झीलों का आशीर्वाद प्राप्त है। नैनीताल अपने खूबसूरत परिदृश्यों और शांत परिवेश के कारण पर्यटकों के स्वर्ग के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ब्रिटिश व्यापारी, पी. बैरून ने 1839 में, यहाँ की सम्मोहित कर देने वाली खुबसुरती से प्रभावित होकर ब्रिटिश कॉलोनी स्थापित करके नैनीताल को लोकप्रिय बना दिया।यात्रा में दो चीजें बेहद जरूरी होती हैं, एक तो खरीददारी और दूसरा वहां के खान-पान को एन्जॉय करना। कमाऊँ में स्थित होने के कारण यहां का खाना थोड़ा सा अलग है, जो आपको नैनीताल की ट्रिप पर जरुर ट्राय करना चाहिए। तो अगर आप इन गर्मियों की छटटियों में नैनीताल घुमने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो वहां के खास मोमोज,गलगले आदि खाना ना भूलें..आइये स्लाइइस में जानते हैं,नैनीताल के प्रसिद्ध फूड के बारे में, जो आपकी नैनीताल ट्रिप को बना देगी और भी मजेदा
गुलगुला
गुलगुला एक मीठी डिश है, जोकि आते और गुड़ से तैयार कर बनाई जाती है।
बाल मिठाई
बाल मिठाई उत्तराखंड की प्रसिदध मिठाई है, बाल मिठाई को भुने हए खोये से बनाया जाता है, खोये को गुड या चीनी के साथ पकाया जाता है| ठंडा हो जाने के बाद मिठाई को काट कर चीनी से बनी छोटी छोटी गेंदों से गार्निश किया जाता है।
अरसा अरसा गढ़वाल के कलेवा की संस्क्रति में सबसे महत्वापूर्ण /मिठाई है। जिसे मुख्य रूप से पारिवारिक सभाओं, शादियों और त्योहारों जैसे विशेष अवसरों पर तैयार है। इसे शादियों में बनाना शुभ माना जाता है। शादी के या किसी शुभ अवसर पर दूर-दूर तक नाते-रिश्तेदारी में अरसे का “बीड़ा” यानी यादगारी का गिफ्ट पैक जरूर भेजा जाता है।

भांग की चटनी या तिल की चटनी उत्तराखंड के कमायूं गढ़ में भांग की चटनी दाल-चावल, रोटी,पूरी आदि के साथ खायी जाती है। चटनी बनाने से पहले भांग याँ फिर तिल को अच्छे से भूना जाता है, फिर मिक्सी में जीरा पावडर, धनिया, नमक और मिर्च स्वादानुसार डालकर अच्छे से पीसा जाता है। और हां बता दें, कि यह चटनी नशीली नहीं होती है
कुमाऊंनी रायता अगर लंच में खाने के साथ रायता जो तो खाना खाने का मजा दुगना हो जाता है, लेकिन क्या अप जानते है कि नैनीताल का रायता अन्य जगहों के एकदम अलग तरीके से बनाया जाता है। जी हां, नैनीताल और कुमायूं गढ़ में रायता ककड़ी (खीरा), सरसों के दाने, हरी मिर्च, हल्दी पाउडर और धनिए से बनाया जाता है। यह रायता सिर्फ छाछ से नहीं बनता, बल्कि छाछ की क्रीम से बनता है। इस रायते में दही की जगह इसी क्रीम का इस्तेमाल कुमाऊंगी रायता बनाने में होता है, जिससे यह काफी गाढ़ा होता है।
इसीलिए भारत में उत्तराखंड को खाने के लिए प्रसिद्ध माना जाता है
उत्तराखंड की क्या विशेषताए है ?
उत्तराखंड एक तो कृषि भूमि पर भी आधारित है। उत्तराखंड प्रसिद्ध पर्यटन नगरी भी है ।हर साल यहाँ लाखो पर्यटक घूमने आते है उत्तराखंड का वातावरण शांत और सुन्दर वादिया और यहाँ का द्रश्य काफी मनमोहक है। उत्तराखंड को देवी-देवताओ की भूमि भी कहा जाता है ।जहा काफी धार्मिक स्थल है जेसे -बद्रीनाथ ,केदारनाथ गंगोत्री ,यमुनोत्री जागेश्वर बहुत सारे धार्मिक स्थल है जो प्रमाण दिखाते है।