भारत में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) राज्य अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिए विश्व भर में जाना जाता है। चीड़-देवदार तथा ऊंचे-ऊंचे पेड़ों के साथ स्थित यहां की बर्फ भरी पहाड़ियां हिमाचल को स्वर्ग बनाने का कार्य करती हैं। पर्यटकों को सबसे पहले यहीं आना पसंद हैं, जिसके बाद वे हिमाचल के अन्य पर्वतीय स्थलों की ओर रूख करते हैं। इसी में आज हमारे साथ जानकारी लिजीए हिमाचल के एक ऐसे खूबसूरती से भरपूर पर्यटन स्थल के बारे में जो रोमांच के साथ-साथ धार्मिक व पौराणिक महत्व भी रखता है। जहां पर अलग- अलग धर्मों के लोग आना पसंद करते हैं।
पर्यटन स्थल मणिकर्ण

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) राज्य में स्थित पर्यटन स्थल अपने हिमालयन परिदृश्य और लोकप्रिय हिल-स्टेशन के लिए प्रसिद्ध है। समुद्र तल से 6000 फुट की ऊंचाई पर बसे मणिकर्ण का शाब्दिक अर्थ है ‘कान की बाली’। मणिकर्ण को कई मनभावन पर्यटक स्थलों का आधार स्थल भी माना जाता है। इसके आधा किमी दूर ब्रह्म गंगा है जहां पार्वती नदी व ब्रह्म गंगा मिलती हैं। यहां थोडी़ देर रूकेंगे तो आप को लगेगा प्रकृति से जी भरकर मिल लिए हो। देश-विदेश से लाखों-करोड़ों प्रकृति प्रेमी पर्यटक यहाँ पर बार-बार आते रहते हैं। विशेष रूप से वो पर्यटक जो चर्म रोग या गठिया जैसे रोग से परेशान हैं, यहां पर आने से स्वास्थ्य सुख पाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर स्थित गंधकयुक्त गर्म पानी में कुछ दिनों स्नान करने से ये सभी बीमारियां ठीक हो जाती हैं। प्रत्येक वर्ष अनेकों युवा स्कूटरों व मोटरसाइकिलों पर ही मणिकर्ण घूमने का रोमांचक अनुभव लेते हैं।इसके अलावा आप डलहौज़ी भी घूम सकते हैं ये भी हिमाचल प्रदेश का एक शानदार पर्यटन स्थल है |
मणिकर्ण (Himachal Pradesh)
हिमाचल प्रदेश राज्य में मणिकर्ण कुल्लू जिले के भंतुर से उतर पश्चिम में पार्वती घाटी में व्यास और पार्वती नदियों के मध्य बसा है। मणिकर्ण हिंदुओं और सिखों का एक तीर्थ स्थल है। यह समुद्र तल से 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भंतुर मणिकर्ण सड़क एकल मार्गीय है लेकिन हरा भरा व बहुत सुंदर है। इसी रास्ते पर एक शांट नाम का गांव भी है। जहां कई बरसों पहले बादला फटा था और पानी ने गांव को नाले में बदल दिया था । मणिकर्ण अपने गर्म पानी के दृश्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां देशों विदेशों से लाखों प्रकृति प्रेमि पर्यटक यहां आते रहते हैं। मणिकरण मंदिर के बाहरी दृश्य और मणिकरण स्थित मणिकरण साहिब गुरुद्वारा, जिसमें प्रसिद्ध गर्म पानी का कुआं और इसके पार बहती पार्वती नदी है। यह शहर का सबसे प्रसिद्ध स्थान है। मणिकर्ण में खूब बर्फ़ पड़ती है। और वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां के पानी में रेडियम पाया जाता है। यहां घूमने के लिए विशेष रूप से ऐसे पर्यटक आते हैं जो चर्म रोग या गठिया रोगों से परेशान हैं।यहां पर आकर इनका स्वास्थ्य सुख पाता है। खौलते पानी के चश्मे मणिकर्ण का सबसे अचरज भरा और विशिष्टता भरा आकर्षण हैं।
कैसे पहुंचें मणिकर्ण?
मणिकर्ण के नजदीक में हवाई अड्डा ‘भुंतर’ स्थित है। अगर आप चाहें तो रेल मार्ग के द्वारा भी मणिकर्ण पहुंच सकते हैं, यहां का नजदीकी रेल्वे स्टेशन ‘जोगिंदर नगर’ है, यह पठानकोट से सीधा जुड़ा हुआ है। अगर आप चाहते हैं तो सड़क मार्ग के जरिए भी मणिकर्ण पहुंच सकते है। ‘भुंतर’ सड़क मार्गों द्वारा बहुत अहम शहरों से जुड़ा हुआ है। यह 3 रास्ते जिससे आप मणिकर्ण पहुंच सकते हैं-
1.हवाई जहाज से– मणिकर्ण की यात्रा करने के लिए हवाई जहाज से यात्रा कर सकते हैं। इस क्षेत्र से मणिकर्ण, हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के बीच की दूरी 34.8 है।
2.रेल मार्ग से– मणिकर्ण का अपना कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। इसके निकट प्रमुख स्टेशन पठानकोट स्टेशन, पंजाब है । पठानकोट से मणिकर्ण पहुंचने के लिए
आपको सड़क मार्ग से लगभग 300 किमी की दूरी के साथ 8 घंटे लगेंगे। पठानकोट से मणिकर्ण जाने का सबसे अच्छा तरीका टैक्सीयां बुकिंग करना तथा भुंतर के लिए बस में जाना और वहां से स्थानीय बस लेना है।
3.सड़क मार्ग से– मणिकर्ण स्थानीय राज्य बसों के दौरान से भुंतर से जुड़ा हुआ है। भुंतर पठानकोट, चंडीगढ़, शिमला और नई दिल्ली जैसे सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह सड़क मार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही इसके पास के सभी क्षेत्रों से टैक्सि भी आसानी से मिल जाती हैं।
मणिकर्ण कब जाएं?
आप वैसे तो मणिकर्ण में किसी भी समय व किसी भी मौसम में जा सकते हैं लेकिन जनवरी के महीने में यहाँ ज्यादा मात्रा में बर्फ गिरती है। और इस समय ठंड भी बहुत ज़्यादा रहती है। जिसकी वजह से आप घूमने का आनंद नहीं ले सकते हैं।तो यहाँ आने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून तक का है। इस समय में तापमान 15 से 22 डिग्री तक रहता है। अगर आपको ठंडी रात या शाम की शांत हवाओं से प्यार है तो सर्दि में अक्टूबर से फरवरी तक आपके लिए बहुत अच्छा मौसम है, इस समय तापमान भी 3 से 10 डिग्री तक रहता है। तो इस समय आकर आप मणिकर्ण घूमने का आनंद ले सकते हैं।
मणिकर्ण में घूमने वाली जगह
तीर्थन घाटी

तीर्थन घाटी मणिकर्ण में कुल्लू में घूमने वाली सबसे अच्छी जगह है। जो लोग शांतिपूर्ण वातावरण को पसन्द करते हैं उनके लिए यह बहुत ही अच्छी जगह है। यहां बहती नदियां, हरी भरी घाटियां और झीलें तीर्थन घाटी ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के सफर जोन में स्थित है।
बिजली महादेव मंदिर

बिजली महादेव मंदिर कुल्लू में एक प्रमुखता वाला मंदिर है। जो ’काश’ शैली में बना हुआ है। मंदिर में एक शिव लिंगम स्थापित है। पारबती, भुंटर और कुल्लू घाटि से घिरा चमत्कारों और रहस्यों से भरा यह मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित है। मणिकर्ण से बिजली महादेव मंदिर की दूरी 39 किलोमीटर है। पहाड़ी से नीचे एक छोटा सा गाँव है और इसका नाम बिजली महादेव मंदिर के नाम पर रखा गया है। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि हर 12 साल में इस मंदिर के अंदर रखी शिवलिंग के ऊपर बिजली गिरती है और यह शिवलिंग कई टुकड़ों में टूट जाती है। इसके बाद मंदिर के पुजारी शिवलिंग को मक्खन की मदद से जोड़ दिया जाता है और यह शिवलिंग कुछ समय बाद अपने पुराने स्वरुपों में आ जाती है।
पार्वती घाटी ट्रेक

पार्वती घाटी ट्रेक हिमालयी क्षेत्र में सबसे चुनौतीपूर्ण ट्रेक में से एक रूप में माना जाता है, जो रोमांच भरी ट्रिप को पसन्द करते हैं । उनके लिए यह बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक जगह है। यहाँ पर चारों ओर के मनमोहक दृश्यों को देखकर आप उनकी सुंदरता से मनमुग्ध हो जाएंगे। पार्वती घाटी ट्रेक बहुत लंबा और काफी हैरान करने वाला ट्रेक है। जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, आसपास के घने जंगलों, हरे-भरे घास के मैदान और नदियाँ आपको अपने आकर्षण से मोहित कर देंगे। पार्वती घाटी ट्रेक, हिमालयन ट्रेक के बाद सबसे ज्अधिक पसंद किये जाने वाले ट्रेक में से एक है।
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