वाराणसी (Varanasi)

Varanasi

वाराणसी (दीपों का शहर) उत्तर प्रदेश में स्तिथ एक अद्भुत नगर है जिसे  भगवान शिव की  नगरी  भी  कहा  जाता है | और यहाँ पर  भोलेनाथ अपने  भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं | और इस विश्व प्रसिद्ध नगरी को अन्य नामों से भी पुकारा जाता है जैसे ; काशी , बनारस और वाराणसी | क्योंकि यहाँ पर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक यहाँ पर विराजमान है | आपको वाराणसी  में कई प्राचीन मंदिर भी देखने को मिलेंगे और वाराणसी  एक धार्मिक राजधानी होने के साथ साथ शिव की नगरी के नाम से नामचीन है |

वाराणसी संसार  के बसे  सबसे प्राचीन शहरों में से एक है और भगवान भोलेनाथ को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर  अपनी प्राचीनतम और आध्यात्मिक इतिहास के लिए देश के महत्वपूर्ण मंदिरों में शुमार है |इसलिए आज हम आपको भारत के सबसे प्राचीन नगर काशी (Varanasi) के दर्शन करवाने  जा रहे हैं जहाँ की गंगा घाट की आरती विश्व  प्रसिद्द है| आपको  वाराणसी कब जाना चाहिए , क्यों जाना चाहिए , और वाराणसी में ऐसी कौन कौन सी जगह हैं जहाँ पर हम घूमने जा सकते हैं और  वाराणसी  की संस्कृति और गंगा घाट के मनोरम दृश्यों  का आनंद उठा सकते हैं |

वाराणसी का इतिहास

बनारस जिसे अब लोग वाराणसी के नाम से पुकारते हैं यह अति प्राचीन नगर है | और प्राचीनतम नगर होने के साथ साथ यह नगर अपने भीतर कई ऐतिहासिक कहानियों को संजोय हुआ है | वाराणसी  के बारे में कई पौराणिक कथाएँ हैं जो हमें यह बताती हैं कि यह नगर कब बसा , क्यों बसा , इस जगह की खासियत क्या है | बनारस को कई तरह के नामों से पुकारा जाता है जैसे ; काशी , बनारस और अब वाराणसी | महाभारत जैसे प्राचीनतम ग्रंथ में भी काशी नाम का उल्लेख मिलता है पितामह भीष्म ने काशी नरेश की तीनों पुत्रियों अम्बा , अम्बिका , अंबालिका का  हरण करके हस्तिनापुर लेकर आये थे |

भारतीय कवियों ने ही नहीं बल्कि उस समय के विख्यात चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने वाराणसी को धार्मिक और कलात्मक रूचि रखने वालों के लिए उचित स्थान बताया है | और यह नगर पावन गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है | वाराणसी (Varanasi) में गंगा नदी के तट पर जगह जगह घाट बने हुए हैं जहाँ पर आप पवित्र स्नान पूजा आदि कर सकते हैं | वाराणसी और भी कई चीजों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है जैसे बनारसी साडी , बनारसी पान,  पीतल के सामान आदि |

अगर काशी  के महाजनपद युग की बात करें तो उस समय भारत 16 महाजनपदों में बटा हुआ था | उन 16 महाजनपदों में काशी भी शामिल था | उस समय काशी के राजा अश्वसेन हुआ करते थे और कोशल , मगध , अंग और वत्स के बीच काशी को अपने राज्य में मिलाने के लिए युद्ध होते रहते थे | अंत में यह प्राचीन नगर कोशल के हाथों में चला गया | वाराणसी दो नदियों के बीच बसा हुआ है ‘वरुणा और असी ‘ | इसलिए काशी का आधुनिक नाम बदलकर “वाराणसी” कर दिया |

वाराणसी  कैसे पहुँचे ?

अब बात करते हैं कि भगवान शिव  की नगरी कैसे पहुंचा जा सकता है और वाराणसी (Varanasi) में पवित्र गंगा घाट पर गंगा आरती और  और घाट के दर्शन कैसे कर सकते हैं | आप वाराणसी तीन मार्गों की मदद से जा सकते हैं चाहे वो रेल मार्ग , सड़क मार्ग , और वायु मार्ग ही क्यों न हो | गंगा आरती वाराणसी में बेहद प्रसिद्द है और लोग दूर दूर से इस गंगा आरती को देखने के लिए आते हैं | यह गंगा आरती दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर होती है | और यह आरती देखने के लिए आपको किसी भी तरह का शुल्क देने की जरुरत नहीं है |

रेल मार्ग : किसी भी जगह घूमने  के लिए रेल मार्ग बड़ा ही सुगम और मनोरंजक सफर होता है | रेल मार्ग से जाने के लिए आपको वाराणसी रेलवे स्टेशन या फिर काशी रेलवे स्टेशन तक जा सकते हैं | गंगा घाट और मंदिरों के दर्शन करने के लिए आपको वहाँ से कोई टैक्सी या वाहन मिल जाएगा | वाराणसी में इ रिक्शा सबसे ज्यादा चलते हैं आप रिक्शा की सवारी करके वाराणसी की पतली गलियों में भी जा सकते हैं | वाराणसी (Varanasi) एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो कि उसके आस पास के सभी प्रमुख शहरों को रेल मार्ग द्वारा आपस में जोड़ता है और आप किसी भी शहर से आसानी के साथ वाराणसी पहुँच सकते हैं |

सड़क मार्ग :  सड़क मार्ग से जाने  के लिए प्रत्येक राज्य सरकार ने यात्रियों के लिए विशेष सुविधा मुहैया करवाई है अगर आप दिल्ली से जाना चाहते हैं तो आप आनंद विहार बस टर्मिनल जा सकते हैं वहाँ से उत्तर प्रदेश सरकार ने लोगों के लिए UPSRTC की मदद से हर शहर के लिए बसों की सुविधा प्रदान की है | आपको ज्यादातर हर राज्य से वाराणसी  के लिए बस मिल जाएगी | वाराणसी (Varanasi) पहुँचने के बाद आप शेयर्ड टैक्सी या फिर इ -रिक्शा में बैठकर वाराणसी घूम सकते हैं |

वायु मार्ग : अगर आप वाराणसी से काफ़ी दूरी पर रहते हैं  और आपके यहाँ से रेल मार्ग या सड़क मार्ग से आने की सुविधा नहीं है तो आप वायु मार्ग द्वारा भी वाराणसी पहुँच सकते हैं | आपको सबसे पहले अपने नजदीकी एयरपोर्ट  से लाल बहादुर शास्त्री  एयरपोर्ट तक फ्लाइट लेनी होगी  और यह एयरपोर्ट  उत्तर – पश्चिम में काशी विश्वनाथ मंदिर से  26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | और फिर एयरपोर्ट पहुँचने के बाद आप वहाँ से कोई टैक्सी या फिर रिक्शा करके मंदिर पहुँच सकते हैं और दर्शन करके आपका मन मस्तिष्क अलग तरीके से व्यवहार करता है |

वाराणसी कब जाना चाहिए?

बनारस हो या वाराणसी (Varanasi) इस नाम से शायद ही कोई परिचित न हो लेकिन यह शहर अपनी पतली गलियों , गंगा आरती , चाय और बनारसी पान , बनारसी साड़ी  के लिए दुनिया भर में प्रसिद्द है  | और  वाराणसी का नज़ारा अपनी आँखों से देखने के लिए लोग प्रत्येक महीने लाखों की संख्या में आते हैं |  और अस्सी घाट और गंगा आरती  का आनंद उठाते हैं | वाराणसी जाने का वैसे तो कोई भी समय उचित है लेकिन वाराणसी जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और नवंबर होता है| दशहरे और दीपावली के समय यहाँ का नज़ारा अधिक खूबसूरत होता है |

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दिल्ली से वाराणसी कितनी दूरी है?

अगर आप दिल्ली में रहते हैं और दिल्ली वाराणसी जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको यह जरूर पता होना चाहिए की दिल्ली से वाराणसी से दूरी कितनी है और दिल्ली से वाराणसी (Varanasi) तक पहुँचने में कितना समय लगता है | आप आगरा -लखनऊ एक्सप्रेसवे माध्यम से जाना चाहते हैं तो दिल्ली से वाराणसी 862 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | और वाराणसी आस पास के सभी प्रमुख राज्यों से एक्सप्रेसवे के माध्यम से जुड़ा हुआ है |

लखनऊ से वाराणसी कितनी दूरी पर है ?

वाराणसी के आस पास उत्तर प्रदेश  के प्रमुख शहर हैं और उनमें से एक है लखनऊ जिसे (नवाबों का शहर ) भी कहा जाता है | लखनऊ से अगर कोई यात्री वाराणसी जाना चाहते हैं तो आप पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के माध्यम से वाराणसी (Varanasi) पहुँच सकते हैं और लखनऊ से वाराणसी की दुरी 312 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है |

क्या वाराणसी और बनारस एक ही नाम है ?

वाराणसी को कभी काशी तो कभी बनारस कहा जाता रहा है कई नामों से पुकारने के कारण लोग भ्रमित हैं कि क्या वाराणसी और बनारस एक ही नाम है | वाराणसी (Varanasi) को ही “काशी” और “ बनारस” कहा जाता है | हमारे देश के 15 वें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की चुनाव क्षेत्र भी वाराणसी है और श्री नरेंद्र मोदी का चुनाव क्षेत्र होने के कारण यहाँ पर कई तरह की विकास किये गए हैं और कई तरह की परियोजनाएँ पर काम चल रहा है |

 

काशी विश्वनाथ मंदिर (Varanasi)

काशी विश्वनाथ मंदिर

भगवान शिव को समर्पित उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदुओं के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है और देश में स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है | जो कि  गंगा नदी के तट पर स्थित है |हिन्दू धर्म में इस मंदिर का एक अलग ही महत्व है कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन करने और गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है |  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का  शिलान्यास किया और काशी विश्वनाथ मंदिर का विस्तार किया गया |

भारत में सात मोक्ष प्रदान करने वाले स्थानों में वाराणसी (Varanasi) का भी जिक्र होता है | आप अगर काशी विश्वनाथ मंदिर घूमने जा रहे हैं तो आप सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक जा सकते हैं और इस मंदिर के दर्शन करने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता |

दशाश्वमेध घाट

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दशाश्वमेध घाट वाराणसी (Varanasi) में गंगा नदी के तट पर स्थित एक धार्मिक स्थान है जहाँ पर शाम के समय गंगा आरती होती है और लोग गंगा स्नान भी करते हैं | मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रम्हा ने दस अश्वमेध यज्ञ करने के पश्चात् इस घाट का नाम दशाश्वमेध घाट पड़  गया|  रोजाना शाम 6 से 7 बजे के मध्य यह स्थान गंगा आरती और गंगा स्नान के लिए सुप्रसिद्ध है | इस समय इस  स्थान पर बहुत अधिक भीड़ होती है |

अस्सी घाट (Varanasi)

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अस्सी घाट जो बहुत प्राचीन होने के साथ साथ गंगा आरती के लिए भी प्रसिद्द है और नाव में बैठकर गंगा आरती का आनंद उठा सकते हैं और यह घाट गंगा और असी नदी के संगम पर स्थित है | इस घाट के समीप ही कई मंदिर और अखाड़े भी बने हुए हैं | वाराणसी (Varanasi) में गंगा नदी में बसे हुए घाटों में सबसे अधिक अस्सी घाट का महत्व है |

सारनाथ

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सारनाथ वो स्थान जहाँ महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश दिया और बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थों में से एक वाराणसी (Varanasi) में स्थापित किया | बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थस्थान हैं ; सारनाथ , बौद्धगया , लुम्बिनी , और कुशीनगर | यह जगह बौद्ध और हिन्दू धर्म के लिए बहुत अधिक महत्त्व रखती है | महात्मा बुद्ध के इस प्रथम उपदेश को धर्म चक्र परिवर्तन का नाम दिया गया | सम्राट अशोक के कार्यकाल में यहाँ पर निर्माण हुए उनमें से सबसे महत्वपूर्ण चार सिंहों की मूर्ति वाला भारत का राजचिन्ह अशोक के स्तंभ से ही लिया गया है |

अशोक ने बाद में बौद्ध धर्म को अपना लिया था इसलिए अशोक ने बौद्ध धर्म में अनेकों चीजों का निर्माण करवाया है | अगर आप अशोक स्तंभ घूमना चाहते हैं तो यहाँ पर घूमने के लिए आपको 10 से 15 रूपए खर्च करने पड़  सकते हैं |वाराणसी में घूमने के लिए आप रेंट पर कार , स्कूटी , और बाइक आदि ले सकते हैं |
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दुर्गा मंदिर

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वाराणसी कैंट (Varanasi) से मात्र 05 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर को “लाल मंदिर” और “दुर्गा कुंड” के नाम से जाना जाता है | ऐसा माना जाता है की माता आधी शक्ति ने शुम्भ -निशुम्भ राक्षसों का वध करके विश्राम किया था और यहाँ माता के मुख और चरणों की पूजा की जाती है | और यह मंदिर प्राचीन काल से यहाँ स्थापित है |

संकट मोचन हनुमान मंदिर

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संकट मोचन हनुमान मंदिर हिंदुओं के पवित्र मंदिरों में से एक है और यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) क्षेत्र में स्थित है | संकट मोचन का यह अद्भुत  मंदिर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के रास्ते में पड़ता है | संकट मोचन यानि भगवान हनुमान को दुःखों को हरने वाला माना जाता है | इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति को इस प्रकार स्थापित किया गया है कि ऐसा लगता है की हनुमान जी भगवान राम की तरफ ही देख रहे हैं | यहाँ पर प्रतिवर्ष  हनुमान जयंती बड़े ही धूम धाम से मनायी जाती है |

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय

Varanasi

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय जिसे अब BHU (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी ) कहा जाता है इसकी स्थापना मदन मोहन मालवीय ने सन 1916 में की थी | वाराणसी (Varanasi) में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी भी एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन हो सकता है क्योंकि इस  विश्वविद्यालय का निर्माण  अंग्रेज़ो के समय में हुआ था |

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